नीमच। जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर बीलवास गांव आजादी के 74 साल बाद भी विकास की बाट जोह रहा है. मनासा तहसील के भदाना पंचायत के अन्तर्गत आने वाले गांव बिलवास में करीब 300 से ज्यादा मतदाता हैं, लेकिन 200 घरों वाला ये गांव दशकों से मूलभूत सुविधाओं के अभाव में नारकीय जीवन जीने को विवश है. गांव में कुछ लोग तो ऐसे हैं, जिनको अपने सरपंच-सचिव तक का नाम नहीं पता है, यहां तक की इन्होंने पंचायत तक नहीं देखी. ग्रामीण आदिवासी सरपंच-सचिव और अधिकारियों के छलावे से तंग आ गए हैं. इनके पास न खाने को अनाज, न मकान, न पानी, न घर में बिजली, न शौचालय, न राशन कार्ड और मजदूरी के अलावा कोई दूसरा रोजगार भी नहीं है.
नारकीय जीवन जी रहे ग्रामीण आदिवासी
गांव के भील आदिवासियों ने बताया की गर्मी में करीब पांच किलोमीटर दूर से पीने के लिए पानी लाना पड़ता है और गांव में 6 हैंडपंप हैं, जो बंद पड़े हैं, दो सरकारी कुएं बनाए गए हैं, जो बरसात में भी सूखे पड़े रहते हैं. एक टंकी बनवाई गई है वो भी बंद पड़ी है. बिजली की लाइन तो है, लेकिन पोल से घर तक आप खुद लाइन डालकर ले जाओ, कभी-कभार तो हालात ऐसे हो जाते हैं कि बिजली विभाग के कर्मचारी कई महीनों तक लाइट सही करने नहीं आते.
शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं