नीमच। कम बारिश का असर अब फसलों की पैदावार पर दिखाई देने लगा है, इस साल मानसून ने जल्दी विदाई ले ली थी. साथ ही औसतन बारिश से भी कम बारिश हुई है. इसका असर रबी की फसल पर सीधा पड़ा है. कम बारिश से फसलों की पैदावार प्रभावित होगी, और साल 2020-21 में अनाज की पैदावार कम होगी. वहीं दलहन की पैदावार में इजाफा होने की संभावना है. साथ ही तिलहन की पैदावार सामान्य रहेगी. फिलहाल शत-प्रतिशत बोवनी नहीं हो पाई है.
जिले में जिन किसानों के पास सिंचाई के प्रर्याप्त साधन नहीं हैं, वे अब मावठा गिरने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि किसी तरह बोवनी कर पाए. साथ ही जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन हैं, उन किसानों के जलस्त्रोतों में भी पानी कमी है. इस कारण ज्यादातर किसान चने की फसल बोने पर ज्यादा विश्वास जता रहे हैं, जबकि गेहूं की फसल पर किसानों को ज्यादा विश्वास नहीं है, क्योंकि चने की फसल कम सिंचाई की ज्यादा होगी, और गेहूं की फसल को अत्यधिक सिंचाई लगेगी.
सिंचाई की समस्या
इस साल मानसून में कम बारिश हुई है, जिसके कारण किसानों के सामने सिंचाई की समस्या खड़ी हो गई है. खेतों में पलेवा करने में ही ट्यूबवेलों और कुओं का जलस्तर घट गया है. जिससे किसानों के सामने आने वाले दिनों में सिंचाई की समस्या खड़ी होने का खतरा मंडरा रहा है. यही कारण है कि जिले में अब तक मात्र 50 फीसदी ही बोवनी हो पाई है, जबकि 50 फीसदी खेत अब भी बोवनी के अभाव में खाली पड़े हुए हैं. हालांकि कृषि अधिकारी ने बताया कि जिले में 75 प्रतिशत बोवनी हो चुकी है.
गेहूं उत्पादन पर पड़ेगा असर
पिछले साल एक लाख 37 हजार हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बोवनी की गई थी. गेहूं का करीब 70 हजार हेक्टेयर रकबा कम देने से उसके उत्पादन में भी असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है. पिछले साल करीब 45 लाख क्विंटल से ज्यादा गेहूं का उत्पादन जिले भर में हुआ था, जो इस बार घटकर 25 से 35 लाख क्विंटल रहने की संभावना है.
50 फीसदी हुई बोवनी