नीमच। मध्य प्रदेश में बढ़ रहे ब्लैक फंगस के मामले को देखते हुए अब जिला प्रशासन भी गंभीर दिखाई देने लगा है और शक्ति से अब इससे निपटने के लिए जिला स्तर पर भी तैयारियां शुरू कर दी है. बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा ली गई बैठक के बाद प्रशासन अब फ्लेक्स से कैसे बचा जा सकता है। इसकी तैयारी में भी जुट गया है.
प्रशासन ने ली निजी डॉक्टरों की बैठक
प्रशासन ने निजी डॉक्टरों से चर्चा की, जिसमें ब्लैक फंगस कैसे फैल रहा है इसकी जानकारी शहर के विभिन्न डॉक्टरों को दी, बैठक के बाद कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने मीडिया से चर्चा की, इस दौरान कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने बताया कि जिले में ब्लैक फंगस के केस लक्षण के आधार पर डिटेक्ट हो रहे हैं जो एक गंभीर विषय हैं फिलहाल कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए ध्यान केन्द्रित था अब नया संक्रमण ब्लैक फंगस सामने आने लगा है. ब्लैक फंगस की रोकथाम, बचाव और कारणों के लिए जिले के विशिष्ट डॉक्टरों से चर्चा की गई, चर्चा के दौरान मुख्य रूप से ब्लैक फंगस बढ़ने के दो-तीन कारण सामने आए हैं जिसमें से मुख्य कारण स्टेराइड सामने आया हैं.
प्रशासन की ब्लैक फंगस पर बैठक, स्टेराइड के उपयोग पर प्रशासन सख्त कमजोर इम्युनिटी पर ब्लैक फंगस का अधिक खतरा
आईएमए के अध्यक्ष डॉ.अशोक जैन ने बताया कि फिलहाल ब्लैक फंगस नामक संक्रमण सामने आया हैं यह अधिकतर उन लोगों में फैल रहा है. जिनकी इम्यूनिटी कमजोर हैं रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण ब्लैक फंगस मरीज पर हावी हो जाता है. कोरोना संक्रमण के दौरान या अन्य बीमारी के समय स्टेराईड टेबलेट या इंजेक्शन के रूप में मरीज को दी जाती है इसकी वजह से व्यक्ति की रोगप्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती हैं और फंगस संक्रमण हो जाता हैं.
ऐसी परिस्थिति में विशेषकर ध्यान दिया जाए कि जरूरत पड़ने पर ही स्टेराइड का उपयोग किया जाए, साथ ही प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों को विशेषकर स्टेराईड का उपयोग करने से बचना चाहिए, कोविड के मरीज खुद से दवाईयां ना ले, विशेषज्ञ चिकित्सक से ही इलाज करवाएं, मधुमेह के रोगी नियमित अंतराल पर अपना शुगर लेवल चेक करवाते रहे और शुगर लेवल को नियंत्रित रखे, ब्लैक फंगस से सुरक्षा और बचाव के लिए जरूरी है कि विशेषज्ञ चिकित्सक से ही इलाज कराएं और शुगर लेवल नियंत्रित रखे.
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स्टेराइड के उपयोग पर जिला प्रशासन सख्त
इसके अलावा मयंक अग्रवाल ने कलेक्टर ने चेताया कि कोई भी नीम-हकीम मरीजों को स्टेराईड देता हैं तो उस पर कार्रवाई की जाएगी, कोविड से ठीक हो चुके मरीजों के काल सेंटर से ब्लड शुगर की जांच कराने और शुगर लेवल नियंत्रित रखने के लिए गाइड किया जाएगा. प्रायवेट अस्पतालों से डिस्जार्च करते समय भी ब्लड शुगर की जांच की जाएगी, यह सुनिश्चित किया जाए कि स्टेराईड का उपयोग अस्पतालों में ही हो और दवाई की दुकानों से भी स्टेराईट विशेषज्ञ चिकित्सक की इलाज पर्ची पर ही दी जाए.