नीमच| पिछले दिनों सिंथेटिक दूध मिलने के बाद शासन ने सख्ती के संकेत दिए थे. लेकिन जिला प्रशासन सुस्त पड़ा है. खाद्य एवं औषधि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी को तो ये तक पता नहीं है कि उनके विभाग में चल क्या रहा है. दुकानों से दूध और पनीर के सैम्पल लिए जा चुके हैं, लेकिन अधिकारी अनजान हैं. हालात ये हैं कि विभाग में इस बात का आंकड़ा तक उपलब्ध नहीं है कि जिले में कितनी डेयरी संचालित हैं. कितने दूध विक्रेता प्रतिदिन बाइक और अन्य माध्यमों से दूध बेंचने जाते हैं.
सिंथेटिक दूध को लेकर सरकार सख्त, लेकिन खाद्य विभाग नहीं दे रहा ध्यान
नीमच में पिछले दिनों सिंथेटिक दूध मिलने के बाद सरकार ने सख्ती के संकेत दिए थे. लेकिन जिला प्रशासन सुस्त पड़ा है.
खाद्य एवं औषधि विभाग का काम है कि जो भी खाद्य सामग्री खुले में बिक रही है उसकी समय-समय पर जांच करना. जिले में एक जनवरी से 20 जुलाई तक मात्र छह दुकानों से जांच के सैम्पल लिए गए हैं. 17 जून 2019 को लिया गया गाय-भैंस के मिश्रित दूध का सैम्पल अमानक पाया गया था. जिसके बाद अधिकारियों ने संबंधित को नोटिस जारी करने की बात कही है.
वहीं पिछले साल विभाग की ओर से नीमच, जावद और सिंगोली में दुकानों से बर्फी और घी के नमूने लिए गए थे. 24 अगस्त 2018 से एक नवंबर 2018 के बीच सात दुकानों से सैम्पलिंग की गई थी. इनमें से शानू मिष्ठान भंडार से लिया गया बर्फी का नमूना अमानक पाया गया था. सिंगोली स्थित मिष्ठान भंडार से लिया घी का सैम्पल अमानक निकला था. बाकी दुकानों से लिए गए सैम्पल मानक स्तर के पाए गए थे.