नीमच। स्वच्छता सर्वेक्षण में जिला पिछले वर्ष की अपेक्षा इस साल दो गुना रफ्तार से पिछड़ा है. इससे पहले देश भर में जिले का नाम 47वें नम्बर पर था, लेकिन इस साल 90 स्थान पर पहुंच गया है. इसमें कहीं न कहीं नगर पालिका की बड़ी चूक सामने आई है.
स्वच्छता सर्वेक्षण में नीमच को मिला 90वां स्थान जिला स्वच्छता रैंकिंग में सुधार की बजाए और पिछड़ता जा रहा है, जिसकी एक वजह जिम्मेदारों की लापरवाही है, जिन्होंने अपने कार्य से पल्ला झाड़ लिया है. अब अपनी नाकामी की जिम्मेदारी एक-दूसरे के माथे मड़ा जा रहा है. जिम्मेदारों का कहना है कि स्वच्छता में जिले को अच्छी रैंकिंग पर लाने के लिए कई कार्य किए जाने थे, जिनकी स्वीकृति नहीं मिली.
इस वजह से जिला स्वच्छता रैंकिंग में पिछड़ गया. हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 20 अगस्त को स्वच्छता सर्वेक्षण-2020 की रैंकिंग घोषणा की थी, जिसमें इंदौर लगातार चौथी बार प्रथम स्थान पर बने रहने में सफल रहा. वहीं नीमच पिछले वर्ष 47वें नम्बर था, लेकिन इस बार पिछड़कर 90वें स्थान पर आ गया हैं.
एक ओर प्रदेश का इंदौर शहर लगातार चौथी बार देश में स्वच्छता के मामले में नम्बर-वन पर आया है. वहीं जिला बढ़त बनाने की बजाए फिसड्डी साबित हुआ है. जिम्मेदार पदों पर आसिन अधिकारियों ने पिछड़ने का कारण एक-दूसरे पर थोप दिया है.
कार्यों की नहीं मिली स्वीकृति
जिम्मेदार अधिकारी विश्वास चंद्र शर्मा ने जिले के पिछड़ने का कारण विभिन्न कार्यों की स्वीकृति नहीं मिल पाना बताया है. उन्होंने कहा कि ऐसे अनेक कार्य नहीं हो पाए, जिनकी वजह से जिला स्वच्छता रैंकिंग में पिछड़ गया. उन्होंने बताया कि कई कार्यों की स्वीकृति पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष राकेश पप्पू जैन द्वारा नहीं दी गई थी. कुछ कार्यों का प्रस्ताव तैयार नहीं हुआ और कुछ कार्य परिषद् में ही नहीं पहुंच पाए.
यह होने थे कार्य जो नहीं हो पाए
इनमें समस्त नालों पर जालियां लगाने का कार्य नहीं हो पाया था. छोटे-बड़े नालों के आसपास तार फेंसिंग नहीं हो पाई. तोड़े गए मकानों के वेस्ट मटेरियल फेंकने के लिए उचित व्यवस्था नहीं हो पाई. गीले कचरे की कम्पास्टिंग नहीं हो पाई. 20 प्रतिशत तक होने वाली होम कम्पास्टिंग केवल 2 प्रतिशत हो पाई.
पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष राकेश पप्पू जैन द्वारा मटके खरीदने की अनुमति नहीं दी गई. कचरा उठाने वाली 8 गाड़ियां मार्च माह में मिली. साथ ही वित्तीय प्रावधानों के चलते भी जिला स्वच्छता रैंकिंग में पिछड़ गया.
26 दिनों में हुआ स्वच्छता सर्वेक्षण
जिले में स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए दिल्ली से टीम आई थी, जिसने 4 जनवरी 2020 से 31 जनवरी 2020 तक स्वच्छता सर्वेक्षण किया. 26 दिनों के अंदर वह सब नहीं हो पाया, जो जिले को स्वच्छता रैंकिंग में आगे पहुंचाता.