नीमच। जिले में खरबूज पर कोरोना वायरस की मार शुरू हो गई है. लॉकडाउन के चलते किसान खरबूज को मंडी तक नहीं पहुंचा पा रहे. लिहाजा बिक्री नहीं होने से हो रहे नुकसान से किसानों की चिंता की लकीरें बढ़ गई हैं. किसान प्रतिदिन खरबूज तोड़कर खेत में ही फेंकने को मजबूर हो रहा है.
खरबूज की खेती को लगा लॉकडाउन का ग्रहण नीमच का तरबूज मध्य प्रदेश के दूसरे जिलों के साथ साथ दूसरे प्रदेशों में भी भेजा जाता था, लेकिन इन दिनों लॉकडाउन की वजह से न तो स्थानीय मंडियों में खरबूज की मांग है और न ही किसान दूसरे प्रदेश में तरबूज भेजकर कमाई कर पा रहे हैं. अभी आगे भी पूरी तरह अभी लॉकडाउन के खोले जाने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है. खरबूज तोड़ने के बाद दो या तीन दिन बाद ही खराब हो जाता है. ऐसे में खरबूजे को संभाल कर रखना भी किसानों के लिए आसान नहीं है.
खेतों में खरबूजे का वजन एक-एक किलो का हो गया लेकिन किसान तोड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है क्योंकि बेचने के लिए मंडी नहीं मिल रही है. किसान खेतों में ही खरबूज को काटकर बीज संग्रहित कर रहे हैं. बीज का भाव करीब बीस से पच्चीस हजार कभी तीस हजार तक होता है, लेकिन इस साल माल आगे तक नहीं पहुंचने से बीज का भाव भी बारह से पंद्रह हजार रूपए तक ही सीमित है. रामपुरा मण्डी में बीज की खरीदी होती है, लेकिन भाव नहीं होने से किसान खरबूजे का बीज भी बेचने को तैयार नहीं हैं.
खरबूज की खेती करने वाले गोपाल रायका ने बताया के खरबूज का बीज कई दवाइयों और मिठाई बनाने के काम आता है. इस साल खरबूज की खेती पर कोरोना का संकट मंडरा गया है. जितनी आमदनी हर साल होती थी इतनी इस वर्ष नहीं हो पायी है. डूब क्षेत्र में कई ऐसे गांव है जो खरबूज की खेती कर अपनी जीविका चलाते है.