नीमच। जिले के करीब 18 गांवों के जंगलों में इन दिनों बेखौफ अवैध शराब की भट्टियां सुलग रही है. पुलिस, आबकारी और प्रशासनिक कार्रवाई से बचने के लिए यह शराब की भट्टियां रात में सुलगाई जाती हैं. सस्ती मिलने के चक्कर में लोग भी इसका उपयोग कर रहे हैं (Neemuch illegal raw liquor). जिले के 32 गांवों के लोग जंगलों में यूरिया, महुआ, गुड़ के घोल से लहान बनाकर कच्ची शराब तैयार करते हैं. जिसे सप्लायर बने बंजारा समाज के बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक थैलियों में भरकर आसपास के गांवों में बेचने जाते हैं.
पुलिस पर हो चुका है हमला: नीमच सिटी थाने के चड़ौली, केनपुरिया ऐसे गांव हैं जहां बड़ी मात्रा में हाथ भट्टी की कच्ची शराब बनाई जाती है. पुलिस इन गांवों में दबिश देने से भी घबराती है. पुलिस टीम देखते ही अवैध शराब बनाने में जुटे लोग, उनके परिवार और गांव वाले गुलेल की सहायता से पत्थरों से हमला कर देते हैं. राजस्थान के सीमावर्ती गांवों से भी नकली शराब की जिले में तस्करी हो रही है. जिले की तीनों तहसील के गांवों में अवैध कच्ची शराब का कारोबार चल रहा है (illegal raw liquor consumed in large quantities). जावद और कुकड़ेश्वर,रामपुरा पुलिस ने पिछले 2 माह में एक दर्जन से अधिक मामलों में अवैध शराब के साथ आरोपियों को पकड़ा है. यही नहीं अवैध शराब बनाने के लिए लाया गया लहान आदि भी नष्ट करवाया है.
इस मौसम में रहती है शराब की अधिक डिमांड: शीतलहर और कड़ाके की ठंड में भट्टी की कच्ची शराब की सबसे अधिक डिमांड रहती है. इसको स्टॉक करने के लिए गांवों के जंगल में रात के अंधेरे में भट्टियां सुलगाई जा रही है. पुलिस और आबकारी विभाग ने 1 साल में 150 से अधिक लोगों को पकड़ा है. भारी मात्रा में कच्ची शराब, लहान, शराब बनाने के उपकरण जब्त किए थे. इसके बाद कुछ समय तक कारोबार बंद रहा, लेकिन अब यह काम फिर से शुरू हो गया है.