भोपाल।मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों प्रमुख दल बीजेपी व कांग्रेस एक-एक सीट पर ठोस रणनीति बनाने में जुटे हैं. वैसे तो मालवा में एक समय बीजेपी का बोलबाला रहा है लेकिन साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को दिन में तारे दिखा दिए थे. नीमच जिले की जावद विधानसभा सीट वैसे तो बीजेपी की पारंपरिक सीट मानी जाती है. लेकिन इस बार यहां बीजेपी के लिए मुकाबला आसान नहीं है. लोगों का कहना है कि यहां विकास की फसल कागजों पर दिखाई देती है. युवा नाराज हैं क्योंकि रोजगार नहीं है. वहीं, कांग्रेस को इस सीट पर 20 सालों से जीत का इंतजार है. mp chunav 2023
ये है सीट का सियासी इतिहास :साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपने अंतरविरोध के कारण हारी. टिकट न मिलने से बगावत कर निर्दलीय मैदान में उतरे समंदर पटेल ने 33 हजार 712 हासिल किए. नतीजा कांग्रेस की हार के रूप में सामने आया. कांग्रेस उम्मीदवार राजकुमार अहीर को 48 हजार 45 वोट मिले थे. बीजेपी ने 4271 वोटों से जीत दर्ज की थी. जावद विधानसभा सीट से वीरेन्द्र कुमार सकलेचा लगातार चुने जाते रहे. 1956 में सकलेचा ने सबसे पहले जावद से चुनाव जीता था. 1962 और 1967 में वे तीसरी बार जनसंघ के टिकट पर जावद निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा के लिए चुने गए. 1977 में वे फिर इस सीट से चुनकर आए. 1978 में वीरेन्द्र कुमार सकलेचा जनता पार्टी की सरकार में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. हालांकि भ्रष्टाचार से जुड़े विवादों के चलते 1980 में उनसे इस्तीफा ले लिया गया. भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उनका राजनीतिक कॅरियर लगभग खत्म हो गया. वीरेन्द्र कुमार सकलेचा ने 1998 के विधानसभा चुनाव में जावद से अपना आखिरी चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस के घनश्याम पाटीदार से 8893 वोटों से वे चुनाव हार गए. बाद में उनके बेटे ओम प्रकाश सकलेचा ने पिता की राजनीतिक जमीन को आगे बढ़ाया. वे इस सीट से 2003 से लगातार जीतते आ रहे हैं.