नीमच।सड़कों पर भरा नालियों का पानी, शमशान तक जाने के लिए कीचड़ भरे रास्ते से होकर गुजरते ग्रामीण, सिर पर पानी का ड्रम रखकर उबाड़-खाबड़ रास्ते से निकलती ये लड़कियां. ये हालात है नीमच जिले में आने वाले मान्याखेड़ी गांव के. जो आजादी के दशकों बाद भी विकास की बाह जोट रहा है.
आजादी के दशकों बाद भी नहीं बदला मान्याखेड़ी गांव की तस्वीर नीमच जिले के मनासा तहसील में आने वाले इस गांव के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. जहां न तो पक्की सड़क है. न पीने के पानी की पर्याप्त सुविधा और न ही विकास के ऐसे कोई साधन, जिसने गांव की तस्वीर बदली हो. आजादी के बाद देश तेजी से विकास की राह पर बढ़ा. लेकिन मान्याखेड़ी गांव वही का वही ठहर रह गया. ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में विकास का ऐसा कोई काम नहीं हुआ, जिससे उन्हें लाभ मिले.
ग्रामीणों की बात पर गौर करें, तो यह बात सही भी नजर आती है. क्योंकि जिस गांव में बारिश के मौसम में शमशान तक जाने के लिए भी परेशानियों से दो चार होना पड़ता हो. वहां कितना विकास होगा इसका अंदाजा आप लगा ही सकते हैं. खास बात यह है कि शासन ग्रामीणों की परेशानियों का खत्म करने की जगह बढ़ाता और जा रहा है. पहले मान्याखेड़ी गांव तलाऊ पंचायत के अंतर्गत आता था. लेकिन अब इसे अमनखेड़ी पंचायत में जोड़ दिया गया. जो गांव से करीब 13 किलोमीटर दूर है. ऐसे में सरपंच-सचिव से मिलने तक के लिए ग्रामीण परेशान होते हैं.
गांव की इस समस्या पर जब स्थानीय विधायक माधव मारू से बात की गई तो उनका कहना भी आप सुन लीजिए. विधायक महोदय भले ही आने वाले समय में मान्याखेड़ी गांव के विकास का दावा कर रहे हों. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब आजादी के इतने सालों बाद भी गांव की सूरत क्यों नहीं बदल पाई. खैर जो भी हो विधायक के आश्वासन से अगर मान्याखेड़ी गांव की सूरत बदलती है. तो सबसे ज्यादा फायदा यहां के ग्रामीणों का होगा. जो न जाने कब से अपने गांव के विकास की राह देख रहे हैं.