नीमच।एक ओर मध्य प्रदेश में विकास कार्यों के दावा जनप्रतिनिधि खुले मंच से कर रहे हैं तो वहीं एक हकीकत ऐसी भी है. जहां आजादी के कई साल बीत जाने के बाद भी कई गांव और क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर ग्रामीण अब भी मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष रहे हैं. ऐसा ही एक गांव नीमच जिले में हैं. जहां से चौंकाने वाली तस्वीरें सामने आई हैं. हम बात कर रहे हैं नीमच जिले के बोरखेड़ी पंचायत में आने वाले सरजना गांव की. जो मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर दूरी पर है.
कच्चा रास्ता और मजबूरियां
सरजना गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. जब हमने गांव का हाल जाना तो चौंकाने वाली तस्वीरें सामने आई. यहां आज भी लोग कच्चे रास्तों से गुजरते हुए गांव में पहुंचते हैं. ग्रामीणों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था भी नहीं हैं. ग्रामीणों ने बताया कि आजादी के बाद से ही इस गांव में मूलभूत सुविधा नहीं पहुंच पाई हैं. जनप्रतिनिधि आते हैं लेकिन आश्वासन देकर चले जाते हैं. कई बार तो कलेक्टर व अधिकारियों को भी इस समस्या से अवगत करवाया, लेकिन आज तक समस्या का समाधान नहीं हो पाया हैं. न ही गांव में रोड की व्यवस्था है. पर्याप्त मात्रा में पानी की व्यवस्था भी नहीं है और तो और शमशान जाने के लिए कच्चे रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है, साथ ही श्मशान में टिनशेड की व्यवस्था भी नहीं हैं. खुले में शव का अंतिम संस्कार करना पड़ता है.
नहीं होते शादी संबध
छात्रा अनिता पाटीदार ने बताया कि उनके गांव में सड़क नहीं है. वह गांव की कच्ची सड़क से कॉलेज तक पहुंचने में उबड़खाबड़ रास्ते से गुजरती है. जिससे उन्हें चोट पहुंचने का डर हमेशा बना रहता है. छात्रा ने बताया कि आजादी के बाद आज तक उनके गांव में सड़क नहीं बनी है. युवती का कहना है कि वैसे तो हमारे गांव में कई बुनियादी समस्याएं है लेकिन सबसे बड़ी समस्या सड़क ही है. छात्रा अनीता के मुताबिक सड़क नहीं होने से बारात भी गांव में प्रवेश नहीं करती है. कच्ची सड़क के कारण बारिश के दिनों में तो स्कूल जाना ही बंद कर देते है क्यों कि चारों ओर कीचड़ बना रहता है.