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कोरोना और महंगाई ने निकाला दम, बाजार फीके, व्यापारी परेशान कैसे मनाएंगे दिवाली

नरसिंहपुर जिले में इस बार बाजारों में रौनक और रंगत नजर नहीं आ रही है, कोरोना की वजह से व्यापारियों को ग्राहक नहीं मिल रहे जिससे व्यापार में लगाई गई लागत तक नहीं निकल पाई है.

Traders are not getting customers due to corona
नरसिंहपुर में बाजार फीके

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Published : Nov 14, 2020, 12:37 AM IST

नरसिंहपुर। भारत में दिवाली बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाई जाती है और धनतेरस के दिन जमकर खरीदारी होती है, लेकिन कोरोना काल के चलते इस बार यह नजर नहीं आ रहा है. बाजारों में रौनक और रंगत दिखाई नहीं दे रही है, जिससे फिलहाल व्यापारियों के चेहरे मुरझाए हुए हैं. ऐसे में व्यापारियों ने जो लागत लगाई थी वह भी निकलती नजर नहीं आ रही है.

बाजारों के हालात यह है कि लगातार बढ़ती महंगाई से गरीब मजदूर परिवार, सीमित आय वाले वर्ग के लोग के परिवारों की गुजर-बसर करना एक गंभीर चुनौती बना हुआ है, जिसके चलते आलम यह है कि बाजार में इस बार धनतेरस दिवाली को होने वाले व्यवसाय में व्यापारियों को मुनाफा नहीं मिला, जिससे व्यापारी खासे परेशान है.

क्या कहना है व्यापारियों का

वहीं मिट्टी की मूर्ति और दीये का व्यवसाय करने वाले सूरज प्रजापति बताते हैं कि कोरोना काल के बाद दिवाली से उम्मीद थी कि व्यवसाय अच्छा होगा और परिवार में खुशियां आएंगी, लेकिन दिन भर दुकान लगाने के बाद मजदूरी निकालना भी मुश्किल लग रहा है, महंगाई बढ़ गई है और खरीददार नहीं आ रहे हैं.

इलेक्ट्रॉनिक दुकान चलाने वाले चंद्रसेन बताते हैं कि दिवाली सीजन से उम्मीद थी कि बाजारों में रौनक आएगी लेकिन बेहद मंदी का दौर चल रहा है इस बार लग ही नहीं रहा है कि दिवाली जैसा कोई त्यौहार है. बाजारों में रौनक नहीं है, हर बार सुबह से ही हजारों में हजारों की बिक्री हो जाती थी, लेकिन इस बार अभी खाता ही नहीं खुला है.

फल-फूल का व्यवसाय करने वाले आशीष गुप्ता बताते हैं कि पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष बाजार बेहद ठंडा है और बाजारों में भीड़ भाड़ भी कम दिखाई दे रही है. बिक्री की उम्मीद की गई थी लेकिन वो भी पूरी होती नजर नहीं आ रही है.

गौरतलब है कि कोरोना काल में छोटे व्यवसायियों को बेहद नुकसान हो रहा है उनके द्वारा जो लागत लगाई गई थी वह निकलती नजर नहीं आ रही है. भगवानों की फोटो की दुकान चलाने वाले व्यवसाई बताते हैं कि इस बार अभी तक हजारों के माल की बिक्री हो जाती थी, लेकिन पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार माल नहीं बिका है और फायदा नहीं मिल रहा है.

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