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भोग और मोक्ष देने वाली है मां राजराजेश्वरी त्रिपुरा सुंदरी, मंदिर निर्माण में लगे थे 18 साल

नरसिंहपुर से लगभग 50 किलोमीटर दूरी पर निश्चला समृद्ध पावन धाम है, जहां श्री राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी माता का मंदिर है जिसे परमहंसी गंगा आश्रम के नाम से जाना जाता है. जहां नवरात्री में भक्तों का तांता लगा रहता है.

Paramhansi Ganga Ashram Narsinghpur
परमहंसी गंगा आश्रम

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Published : Oct 21, 2020, 1:51 PM IST

Updated : Oct 23, 2020, 11:05 AM IST

नरसिंहपुर। नवरात्रि के पावन अवसर पर हम आपको ले चलते हैं नरसिंहपुर के परमहंसी गंगा आश्रम जहां घने जंगलों में प्राकृतिक वादियों में विराजमान है, मां राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी माता, जो अपने भक्तों को भोग और मोक्ष देने वाली हैं. यह धाम शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज की तपोस्थली भी है.

भक्तों को भोग और मोक्ष देने वाली है मां राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी

मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर से लगभग 50 किलोमीटर दूरी पर निश्चला समृद्ध पावन धाम है, जहां श्री राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी माता का मंदिर है जिसे परमहंसी गंगा आश्रम के नाम से जाना जाता है. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा बनाए गए इस मंदिर के निर्माण के लिए लगभग 18 वर्ष लग गए. वहीं इसकी विशाल संरचना की ऊंचाई के कारण कई किलोमीटर की दूरी से भी यह मंदिर देखा जा सकता है. वहीं यह जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिष सरस्वती महाराज का ध्यान और पूजा स्थल भी है, झोतेश्वर का ये परमहंसी गंगा आश्रम है यहां उन्होंने बाल्यावस्था में तपस्या की थी.

मंदिर में चौसठ योगिनी माता विराजमान है. इनका एक साथ दर्शन करने का पुण्य लाभ प्राप्त होता है. नवरात्रि के पावन अवसर पर माता राजराजेश्वरी का अलग-अलग रूपों में श्रृंगार किया जाता है, जिनके दिव्य दर्शन भक्तों को होते हैं. माता त्रिपुरा सुंदरी का मंदिर अनूठा और आदित्य है ये मंदिर करीब 225 फीट ऊंचा है, जिसे तैयार करने में 17 से 18 साल लग गए थे. सन 1965 में इसका निर्माण शुरू हुआ था और 1985 में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी.

परमहंसी गंगा आश्रम
गीता जयंती पर माता त्रिपुरा सुंदरी के दिव्य ग्रह की स्थापना अगन शुभ एकादशी के दिन गीता जयंती पर 26 दिसंबर 1982 को हुई. मंदिर की परिक्रमा में चौसठ योगिनी मूर्तियां स्थापित की गई हैं. मंदिर का प्रवेश द्वार पश्चिम दिशा में है मां त्रिपुरा सुंदरी मंदिर का गर्भ गृह चांदी के पात्रों से सुसज्जित व अलंकृत किया गया है. मूर्तियां अत्यंत मनोहारी और चमत्कारी है. यहां कुल 87 मूर्तियां विराजमान हैं. साल भर यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है और विशेष तौर पर नवरात्र में यहां श्रद्धालु बहुत दूर-दूर से आते हैं, लेकिन कोविड-19 के चलते इस बार नवरात्र में श्रद्धालुओं की ज्यादा चहल-पहल देखने को नहीं मिल रही है. झोतेश्वर परमहंसी गंगा आश्रम धार्मिक पर्यटक स्थल का रूप ले चुका है, यहां विराजमान मां राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी के दर्शन करने और अपनी मनोकामना लेकर लोग दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं. मंदिर के पुजारी स्वामी रामानंद बताते हैं कि यह माता राज राजेश्वरी का श्री विद्या पीठ मंदिर है, यहां पर चौसठ योगिनी माता विराजमान है. इनका पूजन और पाठ करने से बाधा दूर होती हैं. विशेष बात यह है कि पूरे भारतवर्ष में नित्या माता महारानी यहीं विराजमान है, जो शंकराचार्य के अथक प्रयास यहां स्थापित हुई. मंदिर की खासियत यह है कि इस मंदिर के निर्माण दक्षिण के कलाकारों ने किया था, इसलिए मंदिर में दक्षिण भारत की कला दिखाई पड़ती है और इसकी खूबसूरती और भव्य दिखाई देती है.

नवरात्र पर होती है विशेष कलश स्थापना

नवरात्रि पर्व के दौरान बड़ी संख्या में यहां पर कलश स्थापना की जाती है, जिसे देखने के लिए जिले सहित बाहर के प्रदेशों के श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और मां से आशीर्वाद प्राप्त कर जीवन धन्य करते हैं. मां राजराजेश्वरी का श्रृंगार, नवरात्रि में विशेष और खास होता है. वैसे तो हर मौसम के अनुरूप मां का श्रृंगार मनोहरी होता है लेकिन नवरात्रि में मां का श्रृंगार अलग ही दिखाई देता है, जो सिर्फ नवरात्रि में देखने को मिलता है.

Last Updated : Oct 23, 2020, 11:05 AM IST

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