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Makar Sankrati 2023 एमपी में घाटों पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, नर्मदा में लगाई आस्था की डुबकी - Devotees crowd at Ghats

सूर्य के उत्तरायण होने का पर्व मकर संक्रांति के अवसर पर श्रद्धालुओं ने सेठानी घाट पर आस्था और विश्वास की डुबकी लगाई (Makar Sankrati Celebrations in MP). पुण्य सलिला मां नर्मदा में स्नान करने का बहुत महत्व है, आस्था विश्वास एवं आराधना के इस पर्व पर नर्मदा में स्नान करने जिले सहित आसपास के जिलों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं. मकर संक्रांति पर आज के दिन तिल गुड़ के दान का बहुत महत्व होता है. वहीं सेठानी घाट पहुंचे श्रद्धालुओं ने स्नान कर दान पुण्य कर आस्था की डुबकी लगाई.

Devotees bath in Narmada river on Sankranti
नर्मदा में लगाई आस्था की डुबकी

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Published : Jan 14, 2023, 1:05 PM IST

Updated : Jan 14, 2023, 1:36 PM IST

नर्मदा में लगाई आस्था की डुबकी

नर्मदापुरम। मकर संक्रांति के दिन सुबह से तेज कड़कड़ाती ठंड एवं घने कोहरे के होने के बाद भी श्रद्धालुओं ने मां नर्मदा में स्नान किया (Devotees Bath in Narmada river on Sankranti). आज के दिन नर्मदा नदी में स्नान करने का बड़ा महत्व है. मकर संक्रांति पर स्नान एवं दान पुण्य कर लोग पुण्य लाभ अर्जित करते हैं. स्नान के बाद गुड़, तिल, पकवान, कंबल, ऊनी वस्त्र, चावल, मूंग की दाल आदि के वस्तुओं के दान का बहुत महत्व होता है. वही आज जीवनदायिनी मां नर्मदा में आज हजारों की संख्या में श्रद्धालु पुण्य स्नान कर लाभ अर्जित करने के लिए पहुंचे.

संक्रांति पर स्नान करने के बहुत है महत्व: स्नान करने पहुंचे श्रद्धालुओं ने बताया कि मकर संक्रांति का काफी महत्व होता है, इस दिन तिल गुड़ सहित अन्य वस्तुओं का दान किया जाता है, ऐसा करने से पुण्य लाभ मिलता है. सेठानी घाट पर दूर-दूर से श्रद्धालु स्नान करने पहुंचते हैं, आज से सभी मांगलिक कार्यों का शुभारंभ होता है. पंडित सोमेश शर्मा ने बताया कि मकर संक्रांति के अवसर का काफी महत्व होता है, मां नर्मदा में स्नान करने से पुण्य लाभ अर्जित होता है, स्नान करने एवं तिल गुड़ का दान किया जाता है. तिल के दान से लक्ष्मी का वास होता है, गुड़ से मीठास आती है. संक्रांति पर तिल, गुड़, एवं वस्तुओं का दान किया जाता है. तिल, धान लोहे का दान किया जाता है, स्नान करने से सफेद दाग जैसी बीमारियों से छुटकारा मिलता है. गुड़ से मिठास आती है, तिल में लक्ष्मी जी का वास होता है, इसलिए मकर संक्रांति पर इसका अधिक महत्व होता है.

घाटों पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

महाकाल मंदिर में सबसे पहले मनाया जाएगा पर्व: धार्मिक नगरी उज्जैन ही नहीं देश भर में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाना है, क्योंकि जानकारों के अनुसार सूर्य 14 जनवरी की रात 08:50 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे जिसके बाद पर्व सबसे पहले महाकाल मंदिर में भस्मारती के दौरान मनाया जाएगा और फिर देश भर में. मान्यता है सनातन धर्म में कोई भी पर्व सबसे पहले श्री महाकाल मंदिर में ही मनाया जाता है. उज्जैन में पंडितों की माने तो यह पर्व हमेशा से लोग 14 जनवरी को मानते आए हैं और पर्व पर स्नान दान पुण्य का अत्यधिक महत्व है. इसलिए लोग आज सुबह से ही उज्जैन में शिप्रा के घाटों पर पहुंच कर स्नान, दान पुण्य का लाभ ले रहे हैं. मान्यता है मां शिप्रा में स्नान करने से मोक्ष प्राप्त होता है. इस दिन सुबह तीर्थ दर्शन, पवित्र नदियों में स्नान तथा तिल से बने पकवान, कंबल, ऊनी वस्त्र, चावल-मूंग की दाल आदि वस्तुओं के दान का विशेष महत्व है. भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देखा जाए तो सूर्य नवग्रह के राजा है और सूर्य से ही अन्य ग्रहों को ऊर्जा प्राप्त होती है. सूर्य का मकर राशि में प्रवेश सूर्य का उत्तरयण होना माना जाता है, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो उत्तर की ओर गोलार्ध में उसका असर धीरे-धीरे बढ़ने लगता है. यही कारण है कि अन्य तीन ऋतु इस दौरान अपना अलग प्रभाव दर्शाती हैं. जिससे मौसम तथा जलवायु परिवर्तन होता है.

बुरहानपुर में धूमधाम से मना लोहड़ी पर्व

बुरहानपुर में धूमधाम से मना लोहड़ी पर्व:बुरहानपुर में मकर संक्रांति के एक दिन पहले देश भर में उत्साह के साथ लोहड़ी का त्योहार मनाया गया, लोधीपुरा रोड़ स्थित बड़े गुरुद्वारे में लोगों ने हर्षोल्लास के साथ नाचते हुए लोहड़ी का जश्न मनाया, साथ ही लोहड़ी जलाकर परिक्रमा की गई. गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान ने बताया कि मकर संक्रांति के एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व बडे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. इसमें शहर के पंजाबी, सिख, खत्री, सिंधी समाज के अनुयायियों ने मिलकर पर्व मनाया.

Last Updated : Jan 14, 2023, 1:36 PM IST

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