नरसिंहपुर। मध्य प्रदेश में इस बार हुई बारिश ने किसानों के हौसलों को तोड़ दिया है. धरती का सीना चीरकर लोगों की भूख मिटाने वाला किसान आज प्रकृति की आगे बेबस हो चुका है. प्रदेश के कई जिलों में खरीफ की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है. बात अगर नरसिंहपुर जिले की जाए तो पूरे जिले में अतिवृष्टि के कारण किसानों की लगभग 50 से 60 फीसदी खरीफ की फसल बर्बाद हो चुकी है. जिसमें मक्का, उड़द, सोयाबीन की फसलें शामिल है.
नरसिंहपुर जिले में बर्बाद हुई खरीफ की फसले नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा-गोटेगांव और नर्मदा तट से लगे आसपास के इलाकों में फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. फसलों पर इल्लियों का प्रकोप इतना बढ़ गया है कि बची हुई फसल के बचने की उम्मीद भी अब कम ही नजर आती है. किसानों ने शासन से मुआवजे की गुहार लगाई है. लेकिन मुआवजे की उम्मीद नजर नहीं आ रही.
परेशान किसान का कहना है कि अगर जल्द से जल्द उन्हें मुआवजा नहीं मिला तो फिर आने वाली रबी की फसल के लिए उनके पास लागत तक नहीं बचेगी. वही कुछ किसान सरकार पर आरोप भी लगाते नजर आए, कि जब पिछली फसलों का ही मुआवजा नहीं मिला तो इस बार सरकार से क्या उम्मीद करे. खरीफ की फसल बर्बादी पर जब कृषि अधिकारियों से बात की गई. तो रटा रटाया जवाब मिला कि फसलों का सर्वे कर लिया गया है. रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है. मुआवजा राशि आएगी तो किसानों को बाट दी जाएगी.
नरसिंहपुर जिले में मक्के की फसल बर्बाद बड़ा सवाल यह है कि पिछले कई वर्षों से किसान लगातार प्रकृति के प्रकोप झेल रहा है. कभी सूखे की मार पड़ी. तो इस बार आसमानी आफत से उनका नुकसान हुआ. ऐसे में ईटीवी भारत से की शासन और जनप्रतिनिधियों से अपील है कि वे जल्द से जल्द अन्नदाता की सुध ले और उन्हें मुआवजा उपलब्ध कराएं. ताकि उनकी स्थितियों में सुधार हो.