मुरैना। एक ओर जहां प्रदेश में किसान अतिवृष्टि से परेशान हैं,तो वहीं चंबल अंचल में बारिश कम होने से किसान को न केवल खरीफ, बल्कि रबी की फसल को लेकर भी चिंता सताने लगी है. वर्तमान समय में बाजरे की फसल कटने के लिए तैयार है, लेकिन पानी की कमी और इल्ली के प्रकोप के कारण फसल कमजोर होती नजर आ रही है. जिससे काफी बड़े रकबे में बाजरे की फसल को नुकसान हो रहा है. ऐसे में किसान प्रशासन से फसल का सर्वे करने की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है.
कोरोना काल में देश की अर्थव्यवस्था को जीवंत रखने वाला कृषि क्षेत्र ग्वालियर- चंबल अंचल में संकट से जूझ रहा है. यहां औसत से भी कम वर्षा होने के कारण फसलें दम तोड़ती नजर आ रही हैं, तो आने वाली खरीफ फसल भी समय से होती नजर नहीं आ रही है, जिससे किसान की भी कमर टूटती जा रही है. दशकों बाद बाजरे की फसल में इल्ली का प्रकोप देखने को मिल रहा है. जो किसानों की फसल चौपट करने में लगी हुई है, इसके बाद भी कोरोना काल और चुनावी माहौल को देखते हुए प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.
लक्ष्य से अधिक हुई बाजरे की बुवाई
कृषि विभाग द्वारा खरीफ फसल की बुवाई का कुल लक्ष्य 2 लाख 12 हजार 650 हेक्टेयर रखा गया था, जिस पर लक्ष्य से अधिक 2 लाख 22 हजार 957 हेक्टेयर बोवनी की गई. जिसमें से 1 लाख 71 हजार 631 हेक्टेयर में बाजरे की बोवनी की गई. यदि विकासखंड वार बाजरे की फसल का रकबा देखें तो पोरसा विकासखंड में 25 हजार 400 हेक्टेयर, अंबा विकासखंड में 30,815 हेक्टेयर, मुरैना विकासखंड में 44 हजार 740 हेक्टेयर, जरा विकासखंड में 24 हजार 410 हेक्टेयर, पहाड़गढ़ विकासखंड में 13 हजार 527 हेक्टेयर, कैलारस विकासखंड में 15 हजार 450 हेक्टेयर और सबलगढ़ विकासखंड में 17 हजार 250 हेक्टेयर बाजरे की फसल वर्तमान समय में खड़ी है .