मुरैना।कोरोना संक्रमण के चलते देशभर में लॉकडाउन है. ऐसे में जहां रोजाना मजदूरी करके अपना जीवन यापन करने वाले मजदूरों के सामने रोजी- रोटी का संकट खड़ा हो गया है. तो वहीं ऐसे में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने मास्क बनाकर खुद को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम आगे बढ़ा दिया है. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से मुरैना जिले के 32 स्वयं सहायता समूह की करीब 400 से अधिक महिलाएं मास्क बनाकर अपने परिवार का आजीविका चला रही हैं.
स्वयं सहायता समूह की महिलाएं मास्क बनाकर खुद को बना रही हैं आत्मनिर्भर
कोरोना संक्रमण के चलते देशभर में लॉकडाउन है. ऐसे में रोजाना मजदूरी करके अपना जीवन यापन करने वाले मजदूरों के सामने रोजी- रोटी का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने मास्क बनाकर खुद को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम आगे बढ़ा दिया है.
यह सभी महिलाएं सरकार के वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था के माध्यम से काम कर रही हैं. इन महिलाओं ने मास्क बनाकर जिले के 478 ग्राम पंचायतों को सप्लाई किया है. जौरा तहसील की ग्राम पंचायत हीरा की दलित महिलाओं ने कोरोना वायरस संक्रमण काल में घर बैठे मास्क बनाकर अपना और अपने परिवार भरण पोषण करने की जिम्मेदारी उठाई है.
मुरैना जिले की महिलाएं ग्राम पंचायत भवन में एकत्रित होकर मास्क बनाने का काम करती हैं. यह सभी महिलाएं अपने घरेलू काम करने के बाद बाकी समय में पंचायत भवन पहुंचकर मास्क की सिलाई का काम करती हैं. एक महिला 80 से 100 मास्क बनाती हैं और इन्हें 10 रुपये प्रति मास्क के हिसाब से ग्राम पंचायतों द्वारा खरीदा जा रहा है. 5 से 6 रुपये की लागत में बनने वाले कपड़े के यह मास्क उपयोग करने योग्य हैं. इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में इनके द्वारा बनाए गए मास्क की मांग बढ़ती जा रही है. यह सभी महिलाएं प्रतिदिन 800 से 1000 रुपये का काम करती हैं. जिसमें उन्हें 300 से 500 तक की बचत होती है.