मुरैना। पिछले एक दशक में जिले का जलस्तर लगभग 10 मीटर से अधिक नीचे गिर गया. जिससे हैंडपंप से पानी आना तो बंद हो गए हैं इसके साथ ही नदियां-तालाब भी सूखने लगी है. जिसके चलते लोगों के साथ ही पशु पक्षियों को पीने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है. लिहाजा ग्रामीण क्षेत्र में पशुओं और लोगों को पानी के लिए कोसों दूर भटकना पड़ रहा है. इसके बावजूद प्रशासन कोई इंतजाम नहीं कर रहा है.
मुरैना में 10 मीटर नीचे गिरा भूजल स्तर, शहर में 250 फीट, तो गांव मे 400 फीट की गहराई में मिलता है पानी
पिछले एक दशक में मुरैना का जलस्तर 10 से 12 मीटर नीचे जा चुका है, इसलिए कहीं हैंड पंप या नलकूप खनन के दौरान 250 फीट तो कहीं 4 सौ फीट तक खुदाई करनी पड़ रही है.
मानसून आने में अभी 20 से 25 दिन का समय लगेगा, लेकिन इस समय अंचल की क्वारी नदी, आसन नदी और सांक नदी जगह-जगह सूखने लगी हैं जिससे इन नदियों के किनारे बसे लगभग 400 गांव पानी के संकट से जूझ रहे हैं. इन गांव के मवेशी और पशु पक्षी सभी प्यास बुझाने के लिए कोसों दूर तक भटकने को मजबूर हैं. पिछले एक दशक में यहां का जलस्तर 10 से 12 मीटर नीचे जा चुका है, इसलिए कहीं हैंड पंप या नलकूप खनन के दौरान 250 फीट तो कहीं 4 सौ फीट तक खुदाई करनी पड़ रही है.
जिले के सबलगढ़ और पहाड़ गढ़ विकासखंड में जलस्तर 2 सौ से 3 सौ फ़ीट की गहराई तक है, तो कहीं यह 4 सौ फीट तक पहुंच गया है. प्रशासन द्वारा हर वर्ष नीचे गिरते जल स्तर को रोकने के लिए कार्य योजना तैयार की जाती है और तमाम स्टॉप डैम बनवाए जाते हैं, तालाब के निर्माण कराए जाते हैं तो जल स्रोत संजोए रखने के लिए वाटर रिसोर्स सिस्टम के तहत सोख्ता गड्ढा भी बनाए जाते हैं, लेकिन आज तक इन सभी प्रयासों का कोई परिणाम सामने नहीं आया और जल का स्तर लगातार नीचे जा रहा है.