मुरैना। चंबल में जहां बेटियों को अभिशाप माना जाता था, उसी जमीन पर जन्मी बेटियां अब पूरे देश में अपने नाम का परचम फैला रही है. मुरैना की दो बेटियों ने वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता में गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल जीतकर चंबल का नाम रोशन किया है.
वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता में चंबल की बेटियों का दबदबा, गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल किया अपने नाम
चंबल की की दो बेटियों ने वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता में गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल जीतकर चंबल का नाम रोशन किया है. ईशा और प्राची सिकरवार ने अपनी जीत का श्रेय अपने परिजनों को दिया है.
प्रदेश स्तरीय वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता में जीत हासिल करने वाली ईशा और प्राची सिकरवार ने अपनी जीत का श्रेय अपने परिजनों को दिया है. उनका कहना है कि उनके परिजनों के सपोर्ट का नतीजा है कि चंबल की लड़कियां वेटलिफ्टिंग जैसे खेल में स्वर्ण और कांस्य पदक जीत रही हैं. खिलाड़ी ईशा का कहना है कि अगर उन्हें गवर्नमेंट का सपोर्ट मिले, तो वो ओलंपिक में गोल्ड जीतकर देश का नाम रोशन कर सकती हैं.
ईशा और प्राची के कोच अरुण शर्मा जिम चलाते हैं, जहां 5-6 लड़कियां और 30 लड़के वेटलिफ्टिंग की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन उन्हें किसी भी तरह की सहायता नहीं मिल रही है. जिसके चलते सभी खिलाड़ियों को चंदा इकट्ठा कर सारे इंतजाम करने पड़ते हैं. अगर इन खिलाड़ियों को शासन मदद कर दे, तो हो सकता है कि जल्द ही नेशनल लेवल पर भी इनमें से कोई खिलाड़ी गोल्ड जीतकर लाए.