मुरैना। जिले में चंबल और कुंवारी नदी में आई बाढ़ के कारण लगभग 443 गांव बाढ़ की चपेट में आए थे, जिसमें 965 ग्रामीणों के मकान क्षतिग्रस्त हुए, 57 पशु पानी में बह गए और 2 व्यक्तियों की डूबने से मौत हो गई. इस बाढ़ में 37923 किसानों की फसल बर्बाद हो गई, जिसका कुल रकबा 13802 हेक्टेयर भूमि की फसल प्रभावित मानी जा रही है. इस तरह कुल 24 करोड़ 30 लाख का नुकसान प्रशासन ने अपने मैदानी अमले से सर्वे कराने के बाद निर्धारित किया है जिन्हें शत-प्रतिशत राशि क्षतिपूर्ति के रूप में दी जा रही है, बावजूद इसके जमीनी हकीकत बिल्कुल विपरीत है और बाढ़ से पीड़ित ग्रामीण एवं किसानों का कहना है कि उन्हें अभी तक शासन प्रशासन से किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली.
मुरैना जिले की चंबल नदी और कुंवारी में कोटा बैराज और पार्वती नदी के पानी को छोड़ने के कारण बाढ़ आई थी. इस दौरान 37923 किसान की 13802 हेक्टेयर भूमि की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई, इसमें 1029 किसान ऐसे लघु एवं सीमांत किसान हैं जिनके पास 2 हेक्टेयर से भी कर्मभूमि है. जिन किसानों के पास न वर्तमान में जीवन यापन का कोई दूसरा साधन है और न भविष्य की कोई उम्मीद बची. उन्हें सिर्फ सरकार से राहत की उम्मीद थी लेकिन जमीन पर अभी तक सरकारी राहत नहीं पहुंच सकी है जबकि प्रशासन का दावा है कि उसने कुल 24 करोड़ 30 लाख की क्षतिपूर्ति का सर्वे किया है जिसमें से 9 करोड की राशि पीड़ित परिवारों के बैंक खातों में सिंगल क्लिक के माध्यम से ट्रांसफर कर दी गई है और वही शेष लोगों को यह राशि जल्द पहुंचाई जा रही है. जबकि पीड़ित परिवारों का आरोप है कि अभी कोई भी आर्थिक मदद नहीं पहुंची.