मुरैना।वास्तु शास्त्र की दृष्टि से बना यह शिव मंदिर दुनिया के अद्भुत मंदिरों में से एक माना जाता है. यह शिव साधना का प्राचीन केंद्र है. इसके अलावा यहां तंत्र क्रिया के माध्यम से शिव की आराधना कर शक्तियां हासिल करने का महत्वपूर्ण स्थान आदि काल से रहा है. सावन के महीने में यहां से आराधना करने से और तंत्र किया करने से सिद्धिया अति शीघ्र मिलती है. मुरैना के मितावली स्थित 64 योगिनी मंदिर या 71 महादेव मंदिर के नाम से दुनिया में प्रसिद्ध है. स्थान तांत्रिक साधना का प्रमुख केंद्र ही नही विश्व विद्यालय माना जाता है.
शिव उपासक का स्थान
मुरैना मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम मितावली में 300 फिट ऊंचाई वाली पहाड़ी पर स्थित वृत्ताकार से मंदिर है. जिसकी भीतरी सतह में 64 कच्छ बने हुए हैं और एक बरामदा भी है प्रत्येक कक्ष में 1-1 शिवलिंग और उनके साथ एक-एक योगिनी स्थापित थे और मंदिर के मध्य चौक में वृत्ताकार व समान आकृति में एक गर्भ ग्रह है जिसमें मुख्य शिवलिंग और योगिनी स्थापित है.
आदिकाल में भगवान शिव को प्रसन्न कर सिद्धियां प्राप्त करने के लिए यहां सामूहिक रूप से तंत्र प्रिया की जाती थी प्रत्येक कक्ष या परकोटे में एक साधना करने वाला बैठा करता था और इस तरह 64 कक्षा में एक साथ 64 लोग साधना के लिए बैठते थे. मध्य में बने गर्भ ग्रह में एक मुख्य आचार्य बैठकर तंत्र साधना के क्रिया को संपन्न कर आता था.
चोरी हो गई योगिनियों की मूर्ति
धीरे-धीरे कर इस शिव मंदिर से योगिनी या तो चोरी हो गई या फिर बनाएं अन्यत्र स्थापित कर दिया हो. अब इन कक्षा में सिर्फ शिवलिंग ही शेष रह गए हैं. जबकि मुख्य गर्भ ग्रह में आज भी बड़े शिवलिंग के साथ योगिनी स्थापित है और जहां नियमित रूप से पूजा आराधना होती है.