मुरैना। संत हरिगिरि महाराज के आह्वान पर मध्यप्रदेश व राजस्थान के सैकड़ों गांवों में 2011 से दहेज बंदी, मृत्यु भोज और शादी में बैंड बाजा बंद की शुरुआत हुई. जिसके बाद से बड़ी संख्या में लोगों ने मृत्यु भोज और शादी में बैंड बाजा से तोबा कर ली.
आपसी भाईचारा बढ़ाने लेकर संत हरिगिरि महाराज की पहल, रामधुन का हुआ आयोजन - एमपी समाचार
संत हरिगिरि महाराज ने 2017 से रामधुन के प्रचार-प्रसार से शराब और शादियों में दहेज प्रथा बंद कराने का बेड़ा उठाया है.
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हरिगिरि महाराज ने 2017 से रामधुन के प्रचार-प्रसार से शराब और शादियों में दहेज प्रथा बंद कराने का बेड़ा उठाया है. इस बार फिर से हरिगिरि महाराज के मार्गदर्शन में गांव-गांव में रामधुनी से लोगों को जागरूक करने की शुरुआत की है. जिसका लोगों में असर भी दिखाई दे रहा है. आज 24 गांवों ने आगे आकर रामधुन का आयोजन करने का संकल्प लिया है.
इसी क्रम में हंसाई मेवदा गांव में हरिगिरि महाराज के शिष्यों ने आज ग्रामीणों के साथ मिलकर रामधुन का आयोजन किया. यह रामधुन एक गांव में अंखड ज्योति के साथ 24 घंटे चलाई जाती है. फिर एक गांव से दूसरे गांव तक पहुंचती है. तपती धूप में खुले आसमान के नीचे बैठकर हरिगिरि महाराज ने कई घाटों तक तपस्या की, फिर ग्रामीणों को बुराइयों से दूर रहने की शपथ दिलाई. रामधुन का मुख्य मकसद आपसी भाईचारा बढ़ाना और मतभेद दूर करना है. संत हरिगिरि ने मध्य प्रदेश और राजस्थान के चंबल किनारे वाले 222 गांव में साल 2011 में मृत्यु भोज बंद कराने का अभियान चलाया था, जो पूरी तरह सफल रहा. इसके बाद शादियों में होने वाली फिजूलखर्ची को भी बंद करवाया गया.