मुरैना।फुटबॉल खेलती ये लड़कियां मुरैना की हैं, जहां एक जमाने में लड़कियों का पैदा होना ही अभिशाप माना जाता था. लेकिन आज ये बदलते मुरैना की कहानी बयां कर रही हैं. जो अपने बुलंद इरादों और हौसले से फुटबॉल के खेल में अपना जलवा दिखाने की कोशिश में जुटी हैं.
मुरैना की फुटबॉल 'गर्ल्स'
इन लड़कियों की इस कोशिश को परवान चढ़ाने का काम कर रहे हैं मुरैना के फुटबॉल खिलाड़ी रामचंद्र तोमर, जो अपना करियर छोड़कर इन लड़कियों को फुटबॉल की ट्रेनिंग दे रहे हैं. रामचंद्र मुरैना के 900 खिलाड़ियों को फुटबॉल खेलना सिखा रहे हैं. जिनमें अधिकतर लड़कियां हैं. रामचंद्र की मेहनत रंग भी ला रही हैं, क्योंकि रामचंद्र की कोचिंग में फुटबॉल सीखने वाली पांच लड़कियां नेशनल स्तर तक पहुंच चुकी हैं.
रामचंद्र कहते हैं कि सुविधाओं के अभाव में उन्हें फुटबॉल खेलना बीच में ही छोड़ना पड़ा. लेकिन फुटबॉल से उनका प्यार कम नहीं हुआ. लेकिन एक कोच बन कर वह मुरैना के बच्चों को फुटबॉल के गुर सिखा रहे हैं.
खास बात यह है कि फुटबॉल सीखने में मुरैना की लड़कियां भी उत्साह दिखा रही हैं, लेकिन कोच रामचंद्र और इन फुटबॉल खिलाड़ियों की मेहनत पर प्रशासन की लापरवाही पानी फेर रही हैं. क्योंकि मुरैना के पुलिस ग्राउंड पर ये लड़कियां कोच रामचंद्र के निर्देशन में फुटबॉल तो सीख रही है लेकिन सुविधाओं के आभाव में है.
अब सवाल यह है कि कोच रामचंद्र अपना दायित्व निभा रहे हैं, लेकिन शासन और प्रशासन भी अपना दायित्व निभाते हुए इस ग्राउंड की हालत को सुधारने का काम करें तो इन लड़िकयों को फुटबॉल की दुनिया में अपना जलवा विखेरने से कोई नहीं रोक सकता है.