मुरैना। जिला अस्पताल में मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद भी आयुष्मान कार्ड से गरीबों का इलाज मुफ्त नहीं हो पा रहा है. अगर मरीजों के परिजनों की मानें तो जिला अस्पताल में कोरोना की कई दवाइयां उनको बाहर लाने के लिए लिखी जा रही हैं. ऐसे में 30 से 40 हजार तक की दवाइयां मरीज बाहर से लाने के लिए मजबूर हैं. हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कह रहे हैं कि अस्पताल में सारी दवाइयां हैं. वहीं कांग्रेस के नेताओं का आरोप है कि दवाइयां हैं तो मरीजों को क्यों नहीं दी जा रही हैं. उनका आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन दवाइयों को बाहर मेडिकलों पर बेच रहा है. भाजपा नेताओं की माने तो उनका कहना है कि इस तरह की शिकायतें तो आ रही हैं. जिन आयुष्मान कार्ड धारी मरीजों ने मेडिकलों से दवाइयां खरीदी हैं, उनके परिजनों को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कलेक्टर से बात कर पैसे वापस कराए जाएंगे.
कांग्रेस ने लगाए दवा ब्लैक करने के आरोप
प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने आयुष्मान कार्ड योजना को शुरू करते हुए कहा था कि इससे गरीबों का मुफ्त इलाज हो सकेगा, लेकिन कोरोना महामारी के समय निजी अस्पतालों ने इस कार्ड को मानने से ही इनकार कर दिया. अब मुख्यमंत्री के सख्त निर्देशों के बाद आयुष्मान कार्ड के जरिए इलाज तो होना शुरू हो गया है, लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि मुरैना के जिला अस्पताल में आयुष्मान कार्ड धारी मरीजों को 30 से 45000 रुपये तक की दवाइयां बाजार से लाने के लिए कहा जा रहा है. ऐसे में गरीब किस तरह से इलाज करा पाएगा. कांग्रेस का आरोप है कि जिला अस्पताल में मरीजों को अस्पताल से दवा न देते हुए बाहर की दवाइयां लिखी जा रही हैं, जिससे गरीब व्यक्ति बाजार से मेडिकल की दुकानों से महंगी दवा खरीदने के लिए उनको कर्जा लेना पड़ रहा. अस्पताल की अच्छी दवाइयां बाहर मेडिकलों को ब्लैक में दी जा रही हैं.