मुरैना। जिले में चंबल नदी का पानी इस तरह लोगों के लिए कहर बनकर टूटा है कि कई लोगों के आशियाने पूरी तरह से उजड़ गए हैं. अंचल में बाढ़ से कई घर बेघर हो गए, तो कुछ घर सन्नाटे के साए में रात गुजारने को मजबूर हैं.
जिला प्रशासन के द्वारा कुछ बाढ़ पीड़ितों को सुरक्षित स्थान पर लाने के साथ-साथ उन्हें खाने-पीने की चीजें भी मुहैया कराई जा रही हैं, लेकिन कुछ लोग सड़कों पर बिना खाए-पीए अपने परिवार के साथ मदद की आस लगाए बैठे हैं. हालत ये है कि प्रशासन ग्रामीणों के लिए खाने-पीने तक का इंतजाम ठीक ढंग से नहीं कर पा रहा है, हालांकि अब ग्रामीणों की मदद के लिए कुछ समाजसेवियों के द्वारा भोजन-पानी और दवाईयों की व्यवस्था की जा रही है. अपना आशियाना खो चुकी महिलाएं अपने बच्चों के साथ सड़क पर और खुले टेंट के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं.