मुरैना(Morena)।विलुप्त होने की कगार परइंडियन स्कीमर को अब चंबल का मौसम बहुत ही पसंद आ रहा है. यही वजह है कि देश की 80% इंडियन स्कीमर की संख्या चंबल क्षेत्र में आती है. यह स्कीमर उड़ीसा गुजरात और बांग्लादेश तक पाए जाती हैं. हाल ही में हुए सर्वे के अनुसार इंडियन स्कीमर की संख्या पिछली बार से बड़ी है जो कि एक वन प्रेमियों के लिए खुशी की बात है.हालांकि चंबल घड़ियालों के संरक्षण के प्रोजेक्ट को लेकर देश दुनिया में मशहूर है. लेकिन अब इंडियन स्कीमर के रूप में भी इसे पहचाना जाएगा.
दक्षिण एशियाई मुल्क से आ रहे इंडियन स्कीमर
दक्षिण एशियाई मुल्क पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, थाइलैंड, ईरान, चीन, वर्मा में तेजी से इंडियन स्कीमर की आबादी घट रही है,जबकि चंबल में इनकी मौजूदगी लगातार जारी है.पक्षी विशेषज्ञ ज्योति डण्डौतिया कहते हैं कि चंबल नदी के टापू पर इंडियन स्कीमर मौजूद हैं. अब इनका नेस्टिंग सीजन शुरू हो गया है. खास बात ये है कि इस बार इंसानी दखल कम है और बोटिंग भी बंद है. रेत खनन भी कम होने से इस बार इनका नेस्टिंग पीरियड अच्छा रहेगा,चंबल नदी में मेहमान परिंदे इंडियन स्कीमर की कॉलोनियां बढ़ रही हैं.बीएनएचएस और बर्ड इंडिया काउंट संस्था की ओर से 19-20 फरवरी में कराई गई दूसरे चरण की गणना में चंबल नदी में इंडियन स्कीमर की संख्या 124 पाई गई है.
कोरोनाकाल में इनकी प्रजातियों में हुआ इजाफा
चंबल में इंडियन स्ट्रीमर पर लंबे समय से सर्वे का कार्य किया जा रहा है. मुंबई में स्थित एक कंपनी इसपप सर्वे कर रही है जिसके आधार पर यह बात सामने आई है इंडियन स्कीमर को चंबल क्षेत्र का वातावरण पसंद आ रहा है. वह गुजरात ओडिशा से लेकर बांग्लादेश तक उनका बैल है और वह कहीं भी जाएं पर चंबल क्षेत्र में लौट कर जरूर वापस आती है 2 साल से कोरोना काल के समय में इनकी संख्या में वृद्धि भी हुई है.इंडियन स्कीमर चंबल क्षेत्र में आकर ही अपने अंडे देते हैं और हैचिंग होने के बाद अंडे से बच्चे निकलने पर वह फिर उड़ जाते हैं.
अभिरक्षा में युवक की मौत के मामले में पुलिसकर्मियों पर हत्या का केस, डॉक्टर भी आरोपी