Dimni Madhya Pradesh Election Result 2023: दिमनी में नरेंद्र सिंह तोमर को मिली रही टक्कर,सियासी खेल में कौन मारेगा बाजी, देखें LIVE रिजल्ट
LIVE Dimni Madhya Pradesh, Vidhan Sabha Chunav, Assembly Elections Result 2023 News Updates: एमपी के मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट भी चर्चित सीटों में से एक है. यहां केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं. जबकि उनको टक्कर देने कांग्रेस ने वर्तमान विधायक रविंद्र सिंह तोमर को तो बसपा से बलवीर सिंह दंडोतिया को उतारा है.
दिमनी सीट स्कैन
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Published : Jul 7, 2023, 6:16 AM IST
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Updated : Dec 3, 2023, 6:18 AM IST
मुरैना।मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट काफी महत्वपूर्ण सीट है. इस विधानसभा सीट पर देश के कद्दावर नेता कहे जाने वाले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं. नरेंद्र सिंह तोमर के चुनाव लड़ने से पूरे विधानसभा चुनाव में यह सीट काफी चर्चाओं में रही. वहीं नरेंद्र सिंह तोमर का मुकाबला कांग्रेस के मौजूदा विधायक रविंद्र सिंह तोमर से है. यहां मुकाबला दो के बीच नहीं बल्कि त्रिकोणीय है. पूर्व विधायक बलवीर दंडोतिया बसपा से टिकट लेकर दावेदारी कर रहे हैं. यह कहना गलत नहीं होगा कि तोमर के लिए यह चुनाव जीतना आसान बात होगी.
इस विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 2,17,956 है. जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या1,19,138है. वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 98,814 है और अन्य मतदाता 4 हैं. इस विधानसभा क्षेत्र से वर्तमान में कांग्रेस के विधायक रविंद्र सिंह तोमर हैं. जिन्होंने 2020 के उपचुनाव में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए कट्टर सिंधिया समर्थक गिर्राज दंडोतिया को हराया था.
2023 में देखने मिलेगा रोचक मुकाबला:इस बार आगामी विधानसभा चुनाव 2023 में दिमनी विधानसभा सीट पर बड़ा ही रोचक मुकाबला होने वाला है. एक तरफ बीजेपी तमाम बड़ी-बड़ी योजनाओं को लेकर पूरी मजबूती के चुनावी अखाड़े में ताल ठोककर खड़ी है, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस जनता को राहत देने का दावा करते हुए चुनाव में बोजेपी को कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार है. इसके साथ ही तीसरी बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई, बसपा जातिगत वोट बैंक के आधार पर ही चुनाव में दोनों ही बड़ी पार्टियों को कड़ी टक्कर देने के मूड में है. अब देखना यह है कि प्रत्याशी की जीत के लिए जातिगत समीकरण व सरकारी योजना में से क्या अधिक प्रभावी रहता है.
तीनों पार्टी के प्रत्याशियों के नाम लगभग तय: दिमनी विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी-कांग्रेस व बसपा तीनो ही बड़ी पार्टियों से प्रत्याशियों के नाम भी लगभग तय माने जा रहे हैं. कांग्रेस से वर्तमान विधायक रविन्द्र सिंह तोमर ही आगामी चुनाव में पार्टी की ओर से प्रत्याशी होने की उम्मीद ज्यादा है. वहीं बीजेपी से कट्टर तोमर समर्थक और पूर्व विधायक शिवमंगल सिंह तोमर का टिकट माना जा रहा है. वहीं बीएसपी से पूर्व विधायक बलवीर सिंह डंडोतिया का नाम लगभग फाइनल माने जा रहे है. यदि ये तीनों ही प्रत्याशी 2023 के विधानसभा चुनाव में आमने-सामने होते हैं, तो फिर यहां पर बड़ा ही रोचक मुकाबला होने की संभावना है. इसकी मुख्य वजह तीनों नेताओं के संगठन व मतदाताओं पर मजबूत पकड़ है.
जानें जातिगत समीकरण:जातिगत समीकरणों को उठाकर देखा जाए तो यह ठाकुर बाहुल्य क्षेत्र है. यहां पर कुल वोटरों की संख्या सवा दो लाख के आसपास है. इनमें से सर्वाधिक 65000 वोट तोमर (ठाकुर) समाज के हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर अनुसूचित जाति वर्ग के 48000 वोट हैं. चूंकि बीजेपी ओर कांग्रेस दोनों ही बड़ी पार्टियों से एक ही समाज के (तोमर) प्रत्याशी होने की वजह से ठाकुर वोट डिवाइड हो जाता है. इससे बसपा प्रत्याशी 48000 वोट बैंक के साथ मजबूत स्थिति में आ जाता है. ऐसे में ओबीसी वर्ग (कुशवाह, गुर्जर, यादव, बघेल व लोधी) वोट बैंक निर्णायक भूमिका निभाता है. बीजेपी-कांग्रेस जो भी प्रत्याशी ओबीसी वोट बैंक को अपनी ओर मोड़ने में सफल हो जाता है, जीत उसी की हो जाती है.
साल 2020 उपचुनाव: साल 2020 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने रविंद्र सिंह तोमर को टिकट दिया था. जबकि बीजेपी ने गिर्राज दंडोतिया को टिकट दिया था. जहां परिणाम में कांग्रेस के रविंद्र सिंह तोमर ने 72,445 वोटों से जीत हासिल की थी. वहीं दूसरे नंबर पर बीजेपी के गिर्राज दंडोतिया को 45978 वोट मिले थे. जबकि तीसरे नंबर पर बसपा के राजेंद्र सिंह कंसाना थे.
2018 का विधानसभा चुनाव परिणाम:साल 2018 के विधानसभा चुनाव की बात करेंगे तो कांग्रेस ने सिंधिया समर्थक गिर्राज दंडोतिया पर भरोसा जताया था. जबकि बीजेपी ने शिवमंगल सिंह तोमर को टिकट दिया था. इस चुनावी परिणाम में कांग्रेस के गिर्राज दंडोतिया ने 18,477 वोटों से जीत हासिल की थी. जबकि दूसरे नंबर बीजेपी और तीसरे पर बसपा थी.
साल 2013 का विधानसभा चुनाव: साल 2013 के विधानसभा चुनाव में बसपा की जीत हुई थी. यहां से बसपा ने बलवीर सिंह दंडोतिया को टिकट दिया था और कांग्रेस ने रविंद्र सिंह तोमर को चुनावी मैदान में उतारा था. जबकि बीजेपी ने शिवमंगल सिंह तोमर पर विश्वास जताया था. इस बार कांग्रेस या बीजेपी ने नहीं बल्कि बसपा ने जीत हासिल की थी. दूसरे नंबर पर कांग्रेस और तीसरे पर बीजेपी थी.
क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार: राजनीतिक पंडितों के अनुसार दिमनी विधानसभा सीट में न तो वर्तमान विधायक रविंद्र सिंह तोमर की स्थिति अच्छी है और ना ही बीजेपी की ओर प्रबल दावेदार माने जा रहे पूर्व विधायक शिवमंगल सिंह तोमर की. बीजेपी भले ही लाडली बहना, उज्ज्वला योजना, हर गरीब को मकान जैसी बड़ी-बड़ी योजनाओं को लेकर चुनावी अखाड़े में कूद रही है, लेकिन पूर्व विधायक शिवमंगल सिंह तोमर के प्रति मतदाताओं की नाराजगी को नहीं भुना पा रही है. मतदाता उनके पिछले 5 साल के कार्यकाल को याद करते हुए उनकी तरफ से मुंह फेर लेता है.
कांग्रेस विधायक की छवि खास नहीं: उधर वर्तमान विधायक रविन्द्र सिंह तोमर ने 5 साल के कार्यकाल में प्रॉपटी का काम,ठेकेदारी व कमीशन खोरी के चलते जनता की नाराजगी मोल ले ली है. जिससे उनको आगामी चुनाव में बड़ा नुकसान होने वाला है. ऐसे में बीएसपी प्रत्याशी को अनुसूचित जाति व ब्राह्मण वोटों का गठबंधन बड़ी मजबूती प्रदान कर रहा है. यदि दिमनी विधानसभा क्षेत्र का चुनावी इतिहास उठाकर देखा जाए तो वर्ष 1977 से 1993 तक लगातार चार बार बीजेपी से मुंशीलाल खटीक विधायक रहे. इसके बाद क्षेत्र में बदलाव की हवा चली और 1993 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रमेश कोरी चुनाव जीतकर विधायक बन गए. इसके बाद फिर एक बार बदलाव की हवा चली और इस बार जनता ने पुनः बीजेपी से मुंशीलाल खटीक को अपना नेता चुन लिया. वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में जनता ने एक बार फिर बीजेपी पर भरोसा जताते हुए संध्या राय को विधायक बनाकर स्पष्ट कर दिया कि, दिमनी विधानसभा क्षेत्र बीजेपी का मजबूत गढ़ है. वर्ष 1993 में कांग्रेस प्रत्याशी रमेश कोरी की जीत जनता की बीजेपी से नाराजगी नहीं, बल्कि एन्टी इनकमबेंसी का परिणाम है.
जानें किसकी होगी जीत: वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी प्रत्याशी बलवीर सिंह डंडोतिया ने बीजेपी कैंडिडेट को रिकॉर्ड मतों से हराकर बीजेपी के इस मजबूत गढ़ में सेंध लगा दी. इसके बाद बीजेपी से जनता का मन ऐसा उचटा कि लगातार तीन बार से बीजेपी प्रत्याशी को हार का मुंह देखना पड़ रहा है. अपनी हार के कारण जानने के लिए बीजेपी संगठन ने जमीनी स्तर पर कई बार सर्वे कराए, लेकिन हर बार एक ही बात सामने निकलकर आती है, वह है प्रत्याशी का गलत चुनाव. सर्वे के दौरान यह बात भी सामने आई है कि, वोटर भाजपा से नाराज नहीं है, बल्कि गलत प्रत्याशी की वजह से बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ रहा है. चुनाव से पहले जनता की डिमांड बीजेपी की ओर से किसी साफ व स्वच्छ छवि वाले नए चेहरे की रहती है, लेकिन पार्टी हाई कमान अपने चहेतों की नाराजगी से बचने के लिए बार-बार उनको जनता के सामने लाकर खड़ा कर देती है. इसका परिणाम बीजेपी को अपनी हार से चुकाना पड़ता है और इसका सीधा लाभ अन्य पार्टियों को मिल जाता है. अब देखना यह है कि, क्या बीजेपी अपनी सूझ-बूझ व चाणक्य नीति से अपने पुराने मजबूत गढ़ को जीत पाएगी या फिर कांग्रेस व बसपा उसकी कमजोरी का लाभ उठाकर फिर जीत हासिल कर लेगी.