मुरैना की जीवनदायिनी बनी 'मौत' की नदी,फैक्ट्रियों के केमिकल से क्वारी नदी का पानी हुआ 'जहरीला'
Poisoned Kwari River: मुरैना की जीवनदायिनी कही जाने वाली क्वारी नदी का पानी अब प्रदूषित नहीं बल्कि जहरीला हो गया है. फैक्ट्रियों के केमिकल मिलने से नदी के पानी में रहने वाले जीव जंतुओं की भी मौत हो रही है. ऐसा नहीं है कि इसकी खबर जिम्मेदार अधिकारियों को नहीं हैं लेकिन फैक्ट्री संचालकों के रसूख के आगे उनका कानून बौना साबित हो रहा है.
मुरैना। मुरैना की जीवनदायिनी कही जाने वाली नदी अब पूरी तरह से जहरीली हो गई है. यह नदी अब वन्य जीवों के लिए मौत की नदी साबित हो रही है. नदी के जहरीले पानी से रोजाना न सिर्फ हजारों की संख्या में जलीय जीवों की मौत हो रही है बल्कि जंगल मे घूमने वाले जंगली व पालतू पशु भी गंभीर बीमारियों से ग्रसित होते जा रहे हैं.सब कुछ जानते हुए भी जिम्मेदार आंखों पर पट्टी बांधे हुए हैं.
मुरैना की क्वारी नदी का हाल देखिए
फैक्ट्रियों के केमिकल से नुकसान: फैक्ट्रियों के केमिकल युक्त पानी ने इस नदी को धीरे-धीरे इतना नुकसान पहुंचाया कि अब यह प्रदूषित नहीं बल्कि जहरीली हो गई है. क्वारी नदी के आसपास बसे ग्रामीणों के लिए कभी भी मौत का सबब बन सकती है.
फैक्ट्रियों के केमिकल से पानी हुआ 'जहरीला'
ये भी पढ़ें:
12वीं के छात्र ने MP शिक्षा बोर्ड को कोर्ट में घसीटा, 3 साल तक हाईकोर्ट से 'जंग' लड़कर बढ़वाए अंक
कहां से आ रहा है केमिकल:मस्टर्ड ऑयल के लिए मशहूर मुरैना जिले में तेल मिलों की संख्या सैकड़ों में है. अगर हम मुरैना शहर की बात करें तो यहां पर छोटे-बड़े सभी को मिलाकर करीब एक सैकड़ा से ज्यादा तेल मिल हैं. इनमें से कुछ गिने-चुने बड़ी फर्म वाले तेल मिल मालिक रिफायनरी का काम भी करते हैं. सरल शब्दों में समझा जाये तो सरसों के तेल में राइस ब्रान या अन्य सस्ती रेट वाले खाद्य तेलों को मिलाकर रिफाइंड बनाते हैं. रिफायनरी की प्रक्रिया के दौरान ही निकलने वाला केमिकल नदी में बहा दिया जाता है.
पानी में सिर्फ झाग ही झाग
केमिकल का उपयोग क्यों:पिराई के बाद सरसों की खली में करीब 5-6 प्रतिशत तेल की मात्रा रह जाती है. ऐसे में बड़े तेल मिल मालिक इस खली से तेल को निकालने के लिए हैग्जिन करजोनिक नामक कैमिकल का इस्तेमाल करते हैं. बताते हैं कि यह कैमिकल एक अच्छा साल्वेंट होता है जो आसानी से सभी प्रकार के तेल में घुल जाता है. यह कम तापमान पर ऑइल को भाप में बदल देता है चूंकि खली से तेल निकालने के लिए 63 से 65 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है. बिजली का पैसा बचाने के लिए फैक्ट्री मालिक हैग्जिन करजोनिक कैमिकल का उपयोग करते हैं.
नदी में कैसे पहुंचता है केमिकल: खली से तेल निकलने के बाद यह वेस्टेज पानी के साथ स्पेंट वाच के रूप में निकल जाता है. जानकारों के अनुसार यह कैमिकल वैसे तो कैंसर जनित होता है लेकिन रिफायनरी की प्रक्रिया के बाद खाद्य तेल में इसका कोई असर नहीं रहता है.इसका पूरा जहरीला पदार्थ स्पेंट वाच के रूप में तेल से अलग होकर पानी के साथ निकल जाता है. फैक्ट्री मालिक इस जहरीले पानी को एवूलेशन ट्रीटमेंट प्लांट में डालने की जगह इसे टैंकर में भरकर ले जाते है और क्वारी नदी में बहा देते हैं. इस प्रकार से यह नदी के पानी मे मिलकर पूरी नदी को जहरीला बना रहा है.
जानवरों के पीने लायक भी नहीं बचा पानी
ग्रामीण भुगत रहे खामियाजा: इस जहरीले पानी की वजह से नदी में रोजाना हजारों की संख्या मछलियां तथा अन्य जलीय जीवों की मौत हो रही है. उधर इसका खामियाजा नदी किनारे बसे ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है. ग्रामीण अपने पालतू और दुधारू मवेशियों को चराने के लिए जंगल में ले जाते हैं घास चरने के बाद जानवर पानी पीने के लिए क्वारी नदी में जाते हैं. नदी का जहरीला पानी पीने से पालतू पशुओं में भी संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है
क्या कहना है प्रशासन का: ऐसा नहीं है कि यह बात अधिकारियों से छिपी हो लेकिन फैक्ट्री मालिकों के रसूख के चलते उनका कानून धरा रह जाता है. इस मामले में एडीएम सीबी प्रसाद का कहना है कि नदी का पानी किसी केमिकल के कारण ऐसा हो गया है. यह बेहद गंभीर मामला है चुनाव के बाद इसकी जांच की जाएगी.