मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

राजपूताना राइफल्स में पदस्थ रहे जवान से सुनिए कारगिल युद्ध की शौर्य गाथा, चटाई थी पाकिस्तान को धूल - मुरैना न्यूज

मुरैना के गलेथा गांव के रहने वाले शत्रुघन सिंह सिकरवार ने कारगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी. 1984 में राजपूताना राइफल्स में एक सैनिक के पद पर पदस्थ हुए शत्रुघन सिंह मातृभूमि की रक्षा के लिए कई युद्ध लड़ चुके हैं.

Design photo
डिजाइन फोटो

By

Published : Jul 18, 2020, 1:14 PM IST

Updated : Jul 18, 2020, 2:11 PM IST

मुरैना। आज से करीब 21 साल पहले 26 जुलाई 1999 के दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान को धूल चटाकर कारगिल युद्ध जीत लिया था. इसी दिन भारत के वीर सपूतों ने कारगिल युद्ध के दौरान चलाए गए 'ऑपरेशन विजय' को सफलतापूर्वक अंजाम देकर भारत की भूमि को घुसपैठियों के चंगुल से मुक्त कराया था. भारत माता की रक्षा के लिए 527 वीर जवान अपने प्राण न्यौछावर करते हुए शहीद हो गए थे. इन्हीं शहीदों के बलिदान को याद करते हुए हर साल 26 जुलाई को देश में कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है. भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम की गाथा मुरैना के शत्रुघन सिंह सिकरवार ने बताई.

भौगोलिक रूप से विषम परिस्थिति और अत्यधिक ठंडी जलवायु वाले विषम हालातों के बीच 11 हजार फीट की ऊंचाई पर सुरक्षित पहुंचना न केवल कठिन काम था, बल्कि भारतीय थल सेना के लिए बड़ी चुनौती थी, लेकिन भारतीय जांबाजों ने पाकिस्तान सेना को खदेड़ कर कारगिल की ऊंची चोटी पर भारत का तिरंगा लहराया. कारगिल युद्ध जीतने वाले वीर सपूतों में से एक मुरैना के ग्राम गलेथा के शत्रुघन सिंह सिकरवार भी हैं. जिन्होंने 'ऑपरेशन विजय' में अहम भूमिका निभाई थी.

कारगिल युद्ध की कहानी

शत्रुघन सिकरवार ने 'ऑपरेशन विजय' में निभाई थी अहम भूमिका

शत्रुघन सिंह सिकरवार 1984 में राजपूताना राइफल्स में एक सैनिक के पद पर पदस्थ होकर मातृभूमि की रक्षा के लिए कई युद्ध लड़े. सिकरवार ने 1987 में 'ऑपरेशन पवन' के तहत श्रीलंका के जाफना में शांति के लिए चलाए गए युद्ध में भाग लिया. 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन विजय में अपने वीरता और साहस से पाकिस्तानी सेना के दंत खट्टे किए.

भारतीय जवानों के साहस के आगे पाकिस्तानी सैनिकों ने टेके थे घुटने

शत्रुघन सिंह सिकरवार बताते है कि, 3 मई 1999 को उड़ी सेक्टर में बटालियन की तैनाती का आदेश मिला था. जिसके बाद उनके सहयोगी इन्फेंट्री आर्टिलरी और एयरफोर्स की टीम के तालमेल और युद्ध कौशल से कारगिल क्षेत्र के विकास और उड़ी सेक्टर में पाकिस्तानी सेना को खदेड़ने में कामयाब हासिल की गई. अत्यधिक ठंडी जलवायु वाला क्षेत्र होने के साथ-साथ 11 हजार फीट ऊंची चोटी सुरक्षित पहुंचना न केवल कठिन काम था. सेना के अदम्य साहस और पराक्रम के कारण पाकिस्तानी सेना को ना केवल परास्त किया, बल्कि भारतीय सीमा से बाहर निकलने पर मजबूर कर दिया.

वीर सपूतों ने प्राण किए थे न्यौछावर

शत्रुघन सिंह सिकरवार ने बताया कि, कारगिल युद्ध दो महीने तीन हफ्ते और दो दिन तक चला था, जिसमें भारत के 527 जवान शहीद हुए थे, वहीं 1 हजार 363 से ज्यादा जवान घायल हुए थे. युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 7 हजार सैनिक मारे गए थे, पाकिस्तान ने केवल 4 हजार सैनिक मारे जाने की जानकारी दी थी, जबकि पाकिस्तान के 5 हजार 600 सैनिक घायल हुए थे, पाकिस्तान के 13 सैनिकों को युद्ध बंदी बनाया गया था.

Last Updated : Jul 18, 2020, 2:11 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details