मुरैना। आज से करीब 21 साल पहले 26 जुलाई 1999 के दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान को धूल चटाकर कारगिल युद्ध जीत लिया था. इसी दिन भारत के वीर सपूतों ने कारगिल युद्ध के दौरान चलाए गए 'ऑपरेशन विजय' को सफलतापूर्वक अंजाम देकर भारत की भूमि को घुसपैठियों के चंगुल से मुक्त कराया था. भारत माता की रक्षा के लिए 527 वीर जवान अपने प्राण न्यौछावर करते हुए शहीद हो गए थे. इन्हीं शहीदों के बलिदान को याद करते हुए हर साल 26 जुलाई को देश में कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है. भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम की गाथा मुरैना के शत्रुघन सिंह सिकरवार ने बताई.
भौगोलिक रूप से विषम परिस्थिति और अत्यधिक ठंडी जलवायु वाले विषम हालातों के बीच 11 हजार फीट की ऊंचाई पर सुरक्षित पहुंचना न केवल कठिन काम था, बल्कि भारतीय थल सेना के लिए बड़ी चुनौती थी, लेकिन भारतीय जांबाजों ने पाकिस्तान सेना को खदेड़ कर कारगिल की ऊंची चोटी पर भारत का तिरंगा लहराया. कारगिल युद्ध जीतने वाले वीर सपूतों में से एक मुरैना के ग्राम गलेथा के शत्रुघन सिंह सिकरवार भी हैं. जिन्होंने 'ऑपरेशन विजय' में अहम भूमिका निभाई थी.
शत्रुघन सिकरवार ने 'ऑपरेशन विजय' में निभाई थी अहम भूमिका
शत्रुघन सिंह सिकरवार 1984 में राजपूताना राइफल्स में एक सैनिक के पद पर पदस्थ होकर मातृभूमि की रक्षा के लिए कई युद्ध लड़े. सिकरवार ने 1987 में 'ऑपरेशन पवन' के तहत श्रीलंका के जाफना में शांति के लिए चलाए गए युद्ध में भाग लिया. 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन विजय में अपने वीरता और साहस से पाकिस्तानी सेना के दंत खट्टे किए.