मुरैना। पूरे देश में महिला सशक्तिकरण का प्रयास किया जा रहा है. महिला दिवस पर आपको कई ऐसी महिलाओं के बारे में पढ़ने और सुनने को मिलेगा जिन्होंने अपनी जिद और हौसले से लोगों की जिंदगी बदली होगी. लेकिन हम आपको चंबल के एक छोटे से गांव की उन महिलाओं की कहानी बताने जा रहे है, जिन्होंने अपनी ज़िद से पूरे इलाके की तस्वीर को बदलने का काम किया है. यह बात इस लिए बड़ी है क्योंकि यह इलाका चंबल का है. जहां पर बेटियों को कभी अभिशाप माना जाता था। (morena women changed picture of village)
गांव बन गया था शराबियों का अड्डा
महिलाओं के संघर्ष से जुडी यह कहानी मुरैना जिले का उमरियापुरा गांव की है. जो जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर पड़ता है. यह गांव कभी शराबियों का अड्डा माना जाता था. आए दिन शराब पीकर महिलाओं के साथ मारपीट की घटनाएं होना आम बात थी. 6 साल पहले सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा महिलाओं को समझाने और उन्हें जागरूक करने का सिलसिला शुरू हुआ. धीरे-धीरे इस प्रयास का असर हुआ और पूरे गांव को ना सिर्फ शराब से मुक्ति मिली बल्कि, पाई-पाई को मोहताज महिलाओं ने अपना संगठन बनाकर दूध का कारोबार शुरू कर दिया. कल तक जो महिलाएं बात करने से डरती थीं आज वो खुलकर अपनी बात रखती हैं.
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महिलाओं की एकजुटता ने बदल दी गांव की तस्वीर
शराबी पति से परेशान महिलाओं ने मिलकर संगठन बनाया और अपने-अपने पति को थाने में बंद कराना शुरू कर दिया. शराब कारोबारियों की गाड़ियां तोड़ी जानें लगी. गांव को शराब से मुक्ति मिलने के बाद से महिलाओं ने गांव में दूध का कारोबार शुरू कर दिया. जिससे अब पैसा आ रहा है, बच्चे पढ़ रहे हैं और उनके शराबी पति भी अब सुधर कर काम में सहयोग कर रहे हैं.