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सावधान! राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन के नाम पर महिलाओं को ठगा, ऐसे फंसाया जाल में - स्कॉलरशिप देने का झांसा

मुरैना में दो ठगों ने राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन के नाम से फर्जी संस्था बनाकर जिलेभर में एक सैकड़ा से अधिक सेंटर खुलवा दिए. रोजगार की तलाश में भटक रही हजारों महिलाओ ने इन सेंटर में दाखिला लिया. निर्धारित समयावधि बाद महिलाओं को सर्टिफिकेट नहीं मिला तो उन्होंने सेंटर संचालकों से डिमांड की. धोखाधड़ी का शिकार हुए सेंटर संचालकों ने गुरुवार को एएसपी को ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की.

Women cheated in name of National Rural Literacy Mission
राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन के नाम पर महिलाओं को ठगा

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 7, 2023, 5:49 PM IST

राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन के नाम पर महिलाओं को ठगा

मुरैना।शहर स्थित गणेशपुरा कॉलोनी निवासी दिनेश जादौन गुरुवार दोपहर को करीब एक दर्जन महिला-पुरुषों को साथ लेकर एसपी कार्यालय पहुंचे. यहां पर उन्होंने एसपी की गैरमौजूदगी में एएसपी अरविंद ठाकुर को ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में उन्होंने उल्लेख किया है कि कुछ माह पहले सुभाष नगर निवासी देवेंद्र तोमर और रामवीर सिंह तोमर ने संपर्क कर सिलाई सेंटर खोलने का आग्रह किया. रामवीर तोमर ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन के नाम से उनकी एक संस्था है. इस संस्था के तहत सिलाई-बुनाई, कढ़ाई, ब्यूटी पार्लर शिक्षा जैसे कई कार्यक्रम चलाकर बेरोजगार युवक-युवतियों को प्रशिक्षण देकर सर्टिफिकेट देते हैं.

स्कॉलरशिप देने का झांसा :ये भी झांसा दिया कि ट्रेनिंग के दौरान प्रशिक्षणार्थियों को 7-7 हजार रुपये स्कॉलरशिप भी दी जाएगी. इसके लिए उनको गवर्मेंट एड मिलती है. देवेंद्र तोमर दिमनी में खुद चाइल्ड ऑर्गनाइजेशन फाउंडेशन के नाम से संस्था चलाता है. इसका ट्रस्टी वह स्वयं है. सेंटर चलाने के लिए बिल्डिंग का किराया तथा शिक्षकों का वेतन उनकी तरफ से ही रहेगा. उनकी बातों में आकर गणेशपुरा में ही एक किराए का मकान लेकर सिलाई केंद्र खोल दिया. दिनेश ने बताया कि शहर में सिर्फ मेरा ही सिलाई सेंटर नहीं चल रहा है, बल्कि देवेंद्र व रामवीर ने जिलेभर में 113 सेंटर खुलवा दिए. प्रत्येक सेंटर पर 100-100 से अधिक युवक-युवतियां प्रशिक्षण ले रही हैं.

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हरेक आवेदक से रजिस्टेशन फीस ली :शिकायत में कहा गया कि एडमिशन के समय हम लोगों ने रजिस्ट्रेशन फीस के नाम से 250-250 रुपये लिए थे. इस प्रकार से सभी छात्रों से प्राप्त हुई लाखों रुपये रजिस्ट्रेशन फीस हमने रामवीर व देवेंद्र के खाते में जमा करवा दी. प्रशिक्षण की अवधि पूरी होने के बाद न तो प्रशिक्षणार्थी युवक-युवतियों को सर्टिफिकेट दिए गए हैं और ना ही स्कॉलरशिप. हमने आरटीआई के माध्यम से संस्था के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि, ऐसी कोई रजिस्टर्ड संस्था है ही नहीं. इस मामले ASP डॉ. अरविंद ठाकुर का कहना है कि कुछ महिला और पुरुष आए थे, उन्होंने एक एनजीओ के खिलाफ शिकायत की है. थाना प्रभारी को जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

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