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BJP छोड़कर BSP प्रत्याशी बने पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के बेटे राकेश ने CM शिवराज व कई नेताओं को लिया निशाने पर

पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के बेटे ने बीजेपी से नाता तोड़कर बीएसपी का दामन थामने के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ ही अन्य बीजेपी नेताओं पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि उनके पिताजी ने मुरैना में विकास के उल्लेखनीय कार्य किए हैं.

Rakesh son of former minister Rustam Singh
राकेश रुस्तम ने CM शिवराज व कई नेताओं को लिया निशाने पर

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 23, 2023, 12:26 PM IST

राकेश रुस्तम ने CM शिवराज व कई नेताओं को लिया निशाने पर

मुरैना।बीजेपी से टिकट नहीं मिलने से आहत हुए पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के बेटे राकेश ने बीते दिनों पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर बीएसपी का दामन थाम लिया. उन्होंने सीएम शिवराज के साथ ही भाजपा के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों पर हमलावर होते हुए कहा " सीएम तथा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के कहने पर जिपं अध्यक्ष जैसा बड़ा पद छोड़ दिया, लेकिन भाजपा ने मुझे क्या दिया. विधानसभा चुनाव सर्वे में पहले नंबर पर आने के बाद भी मेरे पिताजी का टिकट काट दिया. मेरे पिताजी को मुरैना की जनता ने भरपूर आशीर्वाद दिया है. इसी भरोसे व आशीर्वाद के दम पर मैं बसपा से चुनाव लड़ूंगा."

मुरैना से बीएसपी प्रत्याशी :पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के बेटे राकेश रुस्तम ने बहुजन समाज पार्टी की टिकट से मुरैना विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर दिया है. राकेश रुस्तम ने मुरैना में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा "आज तक मुझसे जो बना, बीजेपी के लिए किया. मुरैना की जनता ने मेरे पिताजी पर भरोसा जताते हुए दो बार विधायक चुना है. पिताजी ने भी जनता के भरोसे को कायम रखते हुए मुरैना का विकास कराया. आज हम विकास के मुद्दे पर बात करें तो नाला नंबर दो की बात हो या, 600 बिस्तर वाले सरकारी जिला अस्पताल की, सब मेरे पिताजी की देन है."

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अपने पिताजी के काम गिनाए :राकेश रुस्तम ने कहा "हमने बेरोजगारी दूर करने के लिए नूराबाद थाना क्षेत्र स्थित पटिया वाले बाबा के पास सीतापुर औद्योगिक क्षेत्र विकसित करवाया, लेकिन सरकार की गलत नीतियों की वजह से यह फलीभूत नहीं हो सका. सरकार में रहते हुए मेरे पिताजी ने गांव-गांव में सड़कों का जाल बिछा दिया. यही नहीं हमने कई बार जनता के हक की लड़ाई भी लड़ी है. यहां के लोगों के लिए पत्थर की खदानें, रोजगार का मुख्य साधन हैं, लेकिन प्रशासन ने इन्हें बंद करवा दिया था. हमने मजदूरों के हक की लड़ाई लड़ते हुए, पुनः इनको चालू करवाया."

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