मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, कहा-पुलिस का मुखबिर तंत्र फेल - रेत नष्टीकरण की कार्रवाई पर कांग्रेस ने उठाए सवाल

मुरैना में हो रहे लगातार अवैध रेत खनन पर पुलिस जब भी कार्रवाई करने पहुंचती है तो माफिया पहले ही फरार हो जाते हैं. इस मामले पर कांग्रेस नेता ने तंज कसते हुए कहा कि, माफियाओं का प्रशासन से सांठ-गांठ चल रहा है. इसलिए पुलिस कार्रवाई करने में असफल है.

morena illegal sand mining
मुरैना में अवैध रेत खनन

By

Published : Mar 19, 2023, 6:14 PM IST

रेत नष्टीकरण की कार्रवाई पर कांग्रेस ने उठाए सवाल

मुरैना।जिले में भले ही रेत माफिया चंबल घाट से रेत का अवैध उत्खनन कर रोजाना सैकड़ों की संख्या में ट्रैक्टर-ट्रॉली भरकर मुरैना और आसपास के जिलों में खपाते हैं. लेकिन पुलिस और जिला प्रशासन की टीम जब भी कार्रवाई करने पहुंचती है तो उनको माफिया एक भी नजर नहीं आता. अधिकारी जब भी कार्रवाई करने के लिए चंबल के राजघाट पहुंचते हैं, तो वहां पर सिर्फ डंप रेत के टीलों के अलावा कुछ नहीं मिलता. अधिकारी रेत के टीलों को मिट्टी में मिलाकर वापस लौट आते हैं. ऐसा ही कुछ मुरैना में शनिवार को हुआ.

कार्रवाई पर कांग्रेस का तंज:शनिवार को मुरैना पुलिस और फारेस्ट विभाग के अधिकारी रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने दलबल के साथ भानपुर और राजघाट पहुंचे. यहां उन्हें रेत माफिया तो नहीं मिले लेकिन खेतों में डंप रेत के टीले नजर आए. अधिकारी कार्रवाई के नाम पर 50 लाख घनमीटर रेत मिट्टी में नष्टीकरण कर वापस लौट आए और अपनी पीट थपथपाते रहे. पुलिस प्रशासन की रेत माफियाओं पर कार्रवाई को लेकर कांग्रेस नेता ने सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस नेता राकेश परमार का कहना है कि, पुलिस प्रशासन की ये कार्रवाई सिर्फ दिखावे के लिए है. यही कारण है कि जब पुलिस प्रशासन कार्रवाई करने के लिए वहां पर पहुंचता है तो माफिया पहले ही भाग जाते हैं. इससे स्पष्ट होता है कि कहीं न कहीं पुलिस प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारियों का रेत माफियाओं के बीच सांठगांठ है.

क्राइस से जुड़ी खबरें यहां क्लिक करें

भाग जाते हैं माफिया: सबसे मजेदार बात ये है कि चंबल के भानपुर और राजघाट से रेत माफिया रोजाना अवैध उत्खनन कर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में भरकर सैकड़ों की संख्या में मुरैना और आसपास के शहरों में खपा रहे हैं, लेकिन अधिकारियों को इसपर बिलकुल भी नजर नहीं है. रेत माफिया पुलिस और फॉरेस्ट विभाग की टीम के आने से पहले ही गायब हो जाते है. इसका मतलब साफ है कि या तो रेत माफियाओं का मुखबिर तंत्र काफी मजबूत है, या फिर कार्रवाई करने वालों में से ही कोई भेदिया है जो इसकी जानकारी उन तक पहले ही पहुंचा देता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details