मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

मुरैना ने भी सहा था आपातकाल का दंश, मीसाबंदी राधेश्याम गुप्ता ने साझा किए अनुभव - Misabandi Radheshyam Gupta

आपातकाल के 45 साल पूरे हो गए, लेकिन उसकी यादें आज भी उस दौर के लोगों के जेहन में ताजा है. संघ विचारक राधेश्याम गुप्ता ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि मुरैना ने भी आपातकाल का दंश सहा था. पढ़िए पूरी खबर...

Rss vicharak radheshyam gupta
राधेश्याम गुप्ता संघ विचारक

By

Published : Jun 26, 2020, 12:04 AM IST

Updated : Jul 1, 2020, 11:37 AM IST

मुरैना।आपातकाल के आज 45 साल पूरे हो गए, लेकिन उसकी यादें आज भी उस दौर के लोगों के जेहन में ताजा है. उस दौर में देश भर में कांग्रेस का समर्थन न करने वाले नेता और पत्रकारों को रातों-रात जेल में डाल दिया गया और 'नो वकील नो दलील' का फॉर्मूला चल निकला. इस दौरान मुरैना में भी लोगों को जेल भाजा गया था, जिसमें से एक थे संघ विचारक राधेश्याम गुप्ता, जिन्होंने आपातकाल के 45 साल होने पर ईटीवी भारत से बात की और उस दौर के बारें में बताया.

संवाददाता श्याम मोहन डंडोतिया

राधेश्याम गुप्ता ने बताया कि मुरैना से जनसंघ के संस्थापक सदस्य कुंवर सिंह शर्मा काका और बाबू जबर सिंह को भी जेल में जाना पड़ा. इनके साथ-साथ कई ऐसे नाम भी थे, जो कांग्रेस की विचारधारा से संबंध रखते थे, लेकिन इंदिरा गांधी के इमरजेंसी लागू करने वाले निर्णय से संतुष्ट नहीं थे. उस दौर में अनेकों समाजवादी नेताओं की पहचान कर जेल भेजा जाने लगा, धीरे धारे मुरैना से तकरीबन आधा सैकड़ा से अधिक लोग धीरे-धीरे कर ग्वालियर और मुरैना की जेलों में बंद रहे.

राधेश्याम गुप्ता ने बताया ने बताया कि आपातकाल में संघ और उसकी विचारधारा वाली पार्टी जनसंघ सहित अन्य कई सामाजिक संगठनों के नेताओं को देशभर में जेल में बंद किया गया. हालांकि 1977 में आम चुनावों की घोषणा के बाद जनता पार्टी का गठन हुआ, जिसके बाद जेल में बंद नेताओं को बाहर निकालना शुरू किया गया. राधेश्याम गुप्ता ने बताया कि वह उन आखरी लोगों में से एक थे जो जेल से बाहर आए थे.

कब लगा था अपातकाल

25 जून का दिन एक विवादस्पद फैसले के लिए जाना जाता है. ये वो ही दिन था जब देश में आपातकाल लगाने की घोषणा हुई और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जनता को बेवजह मुश्किलों के समुंदर में धकेल दिया था. 25 जून, 1975 को आपातकाल की घोषणा की गई और 26 जून 1975 से 21 - मार्च 1977 तक यानी 21 महीने की अवधि तक आपातकाल जारी रहा.

अपातकाल लगाने की वजह

आपातकाल के पीछे की वजह इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले को माना जाता है. जिसमें तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के चुनाव को निरस्त कर दिया गया था. 12 जून, 1975 को दिए गए इस फैसले में रायबरेली सीट से इंदिरा गांधी के निर्वाचन को गलत माना गया था और उनके चुनाव को निरस्त करते हुए, अगले 6 सालों तक उनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. इन चुनावों में इंदिरा गांधी ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के राजनारायण को हराया था. इसके बाद राजनारायण ने अपनी हार स्वीकार नहीं की और चुनावों में धांधली का आरोप लगाते हुए वे हाईकोर्ट चले गये थे. इसी मुकदमे का फैसला इंदिरा गांधी के खिलाफ आया था, जिसके बाद इंदिरा गांधी ने अपने पद धारण करने पर उठ रहे विरोध के स्वरों को दबाने के लिए आपातकाल की घोषणा की थी.

Last Updated : Jul 1, 2020, 11:37 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details