मुरैना।कोरोना वायरस की जंग पूरा देश लड़ रहा है, जिसके चलते सामानों को लेकर लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसी कड़ी में मुरैना शहर की सामाजिक संस्था कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आगामी त्योहार रक्षाबंधन में चायनीज राखी का बहिष्कार करते हुए महिलाओं के साथ मिलकर मिट्टी की राखी तैयार कर रहा है, जो पर्यावरण संरक्षण की ओर भी एक अहम कदम है. इससे ना केवल चायनीज समान का बहिष्कार किया जा रहा है, बल्कि महिलाओं को कोरोनाकाल में घर पर ही रोजगार मिल रहा है.
मिट्टी की राखियों का निर्माण मिट्टी से बनाई जा रही राखी
मिट्टी से बनाई जा रही राखियों की सबसे बड़ी खासियत ये है कि, इसमें तुलसी, अलसी, राई, काली मिर्च आदि के बीज से इसे तैयार किया जा रहा है. त्योहार के बाद जब इस मिट्टी की बनाई राखियों को घर के गमले, गली मोहल्ले या दूर दराज में डालने पर मिट्टी में लगे बीज अंकुरित होकर एक नए पौधे का रूप लेंगे. जिससे प्रकृति में हरियाली आएगी, साथ ही पौधे औषधीय होने के कारण कोरोना संक्रमण काल में आम लोगों के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करेंगे.
महिलाओं को मिल रहा रोजगार
वर्तमान परिस्थितियों में भारत चाइना सीमा पर चल रहे विवाद के बाद दोनों देशों के बीच पैदा हुए तनाव को ध्यान में रखते हुए भारत ने चाइना से दूरी बनानी शुरू कर दी है. जिसके तहत कई चाइनीज सामानों का जनता विरोध कर रही है. इसी कड़ी में सामाजिक संस्था कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कोरोनाकाल में घरों में रहकर महिलाओं को रोजगार देने और चाइनीज सामान की वैकल्पिक व्यवस्था करने की तैयारी की है. इसके तहत आगामी त्योहारों को ध्यान में रखते हुए रक्षाबंधन के लिए कैट के सदस्यों ने महिलाओं के साथ मिलकर मिट्टी की राखी बनाने का काम शुरू किया है.
जानिए मिट्टी की राखियों का उद्देश्य मिट्टी की राखियों का उद्देश्य
सामाजिक संस्था कैट द्वारा बनाई जा रही मिट्टी की राखियों के कई उद्देश्य हैं. पहला ये है कि, मिट्टी की राखियां त्योहार के बाद वातावरण को प्रदूषित नहीं करेंगी, नदियों और जलाशयों में विसर्जित करने पर जलाशयों में कार्बनिक प्रदूषण नहीं होगा. दूसरा उद्देश्य है कि, मिट्टी की राखियों में औषधीय पौधे तुलसी, अलसी, राई और काली मिर्च जैसे पौधे के बीज को सजावट के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि इसका उपयोग करने के बाद जब इन्हें घर के गमले, गांव के खेतों या बाहर गली-मोहल्ले में डाला जाएगा, तब वहां पर बारिश के साथ इन राखियों में रखे बीज अंकुरित होंगे, जो कई जगह तुलसी और अलसी जैसे महत्वपूर्ण औषधीय पौधों को लगाने में सहायक भी है.
राखी में औषधीय बीजों का उपयोग लगाए जाएंगे मिट्टी की राखियों के स्टॉल
सामाजिक संस्था राखी के द्वारा त्योहार को ध्यान में रखते हुए कई शहरों में मिट्टी की राखी बनाने का काम कराया जा रहा है. इस काम में करीब तीन से चार सैकड़ा महिलाएं अपने घरों में रहकर काम कर रही हैं. मिट्टी की बनने वाली आधुनिक और इको फ्रेंडली राखियों को लोगों तक पहुंचाने के लिए बाजार उपलब्ध कराने की व्यवस्था संस्था ने की है. कोरोनाकाल के दौरान जहां-जहां शासन प्रशासन द्वारा निर्धारित बाजार किए गए है, वहां 11 स्टॉल मिट्टी की राखियों के भी लगाए जाएंगे. हालांकि इन राखियों को पेंटिंग कर आधुनिक रूप भी देने की कोशिश की जा रही है, जिससे लोग इसे पसंद करें और त्योहार पर सर्वाधिक रूप से उपयोग कर सके.
कलावे और सूत के धागे की राखियां
संस्था मिट्टी की राखियों के साथ-साथ कलावे और सूत के धागे की राखियां बना रही है, ताकि लोग पहले की तहर परंपरागत कच्चे धागे की राखी का उपयोग भी करें, तो उन्हें वो आसानी से उपलब्ध हो सके. साथ ही एक ही स्टॉल पर दोनों प्रकार की राखियां उपलब्ध होने से स्टॉल लगाने वाले व्यक्ति को भी मुनाफा हो सके और ग्राहकों को भी उनकी मनपसंद राखी मिल सके.
राखी के साथ रोरी चावल और मिश्री के पैकेट
राखी के साथ रोरी, चावल और मिश्री के पैकेट भी साथ में पैक किए जा रहे हैं, जिससे संक्रमण काल के दौरान बाजार बंद होने पर बहनों द्वारा भाई की कलाई पर राखी बांधते समय तक उनकी सारी चीजें, उन्हें एक ही जगह उपलब्ध हो सके और किसी तरह की कोई परेशानी ना हो.