मुरैना। आज देशभर में महाशिवरात्रि के मौके पर श्रद्धालु शिव के अनेक रूपों के दर्शन कर रहे हैं. वहीं मुरैना जिले में भी भगवान भोलेनाथ का ऐसा स्वयं-भू शिवलिंग मौजूद है. जो अति प्राचीन है. कहा जाता है कि इस शिवलिंग का अभिषेक अदृश्य शक्ति करती है.
- ईश्वरा महादेव मंदिर में अदृश्य शक्ति !
जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर पुरातन काल का ईश्वरा महादेव मंदिर स्थित है. बियाबान जंगल में स्थित ईश्वरा महादेव स्वयं-भू शिवलिंग है. मान्यता है कि रामायण काल में लंकापति रावण के भाई विभीषण ने इस मंदिर में आकर तपस्या की थी. लोगों का विश्वास है कि यहां विभीषण हर रोज सुबह 4 बजे इस मंदिर में पूजा करने आते हैं.
- अदृश्य शक्ति करती है जलाभिषेक
भक्तों का मानना है कि विभीषण हर सुबह भगवान शिव की पूजा करते हैं. इस शिवलिंग पर 12 महीने जलाभिषेक होता रहता है. हैरानी की बात यह है कि आसपास पानी का कोई स्त्रोत मौजूद नहीं है. यहां तक कि इस इलाके में पानी की विकराल समस्या रहती है. लेकिन मंदिर में स्थित शिवलिंग पर निरंतर जलधारा बहती रहती है. ऐसे ही कई और चमत्कारों से भरा ईश्वरा महादेव मंदिर लोगों के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है. जहां दूर-दूर से लोग दर्शनों के लिए पहुंचते हैं. वहीं महाशिवरात्रि के दिन तो इस बियाबान जंगल में मेले जैसा माहौल हो जाता है.
- महाभारत काल से भी पुराना ईश्वरा महादेव मंदिर
मुरैना के पहाड़गढ़ के घने जंगल के बीच स्थित ईश्वरा महादेव मंदिर महाभारत काल से भी पुराना है. मंदिर की मान्यता है कि यहां पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस शिवलिंग की पूजा-अर्चना की थी. लोगों की मानें तो इस शिवलिंग की स्थापना रावण के भाई विभीषण ने की थी. हालांकि इस बात का कोई सबूत नहीं हैं. ईश्वरा महादेव मंदिर अपने चमत्कार के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है. यहां हर रोज सुबह 4 बजे कोई अदृश्य शक्ति आकर शिवलिंग की पूजा अर्चना करती है. पूजा करने वाला कौन है. ये आज तक कोई पता नहीं कर सका है. माह शिवरात्रि के दिन हजारों की संख्या में भक्त ईश्वरा महादेव मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चना करते हैं.
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