मुरैना।चंबल अंचल के किसी भी क्षेत्र में प्रतिभाओं की कमी नहीं है लेकिन उन्हें अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के लिए न तो संसाधन मिल रहे हैं और न ही अवसर. हालात ये हैं कि प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि सिर्फ वादे करते जाते हैं, लेकिन वो वादे कभी हकीकत में तब्दील नहीं होते. यही कारण है कि चंबल अंचल के होनहार राष्ट्रीय स्तर पर मुरैना का परचम लहराने में सफल नहीं हो पा रहे हैं.
लॉकडाउन के बाद बारिश ने किया प्रभावित
कोरोना संक्रमण की वजह से मार्च के महीने से बंद किए गए स्टेडियम के साथ सभी खेल गतिविधियों को सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था, जिसे लेकर पिछले चार महीने से खिलाड़ी परेशान थे और उनकी प्रैक्टिस बिल्कुल बंद ही हो गई थी. जैसे-तैसे कोरोना को नियंत्रण करने के बाद अनलॉक किया गया और स्टेडियम को शर्तों के साथ खोला गया लेकिन बारिश के कारण खिलाड़ी स्टेडियम के मैदान पर और रेसिंग ट्रैक पर प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं.
खिलाड़ियों का कम हुआ मनोबल
मैदान और रेसिंग ट्रैक पर पानी भरे रहने और कीचड़ जैसे हालातों में खिलाड़ी अभ्यास नहीं कर पा रहे हैं, जिससे वे आने वाले समय में किसी की खेल गतिविधि के लिए अपने आप को कमजोर महसूस करने लगे हैं.
सिंथेटिक ट्रैक की मांग
मुरैना जिले में एकमात्र डॉ भीमराव अंबेडकर स्टेडियम है, जिसमें क्रिकेट, हॉकी, वॉलीबॉल के साथ एथलीट के भी खिलाड़ी अभ्यास करने आते हैं. स्टेडियम में एथलीट खिलाड़ियों के लिए सिंथेटिक ट्रैक की लंबे समय से मांग चल रही थी, जिसे बरसों से क्षेत्रीय विधायक और जनप्रतिनिधि प्रदान करने का आश्वासन दे रहे हैं. बावजूद इसके आज तक न मिलने से खिलाड़ियों को इस साल बारिश के सीजन में बेहद परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
हो चुका फंड रिलीज
डॉ भीमराव अंबेडकर स्टेडियम वैसे तो खेल विभाग के अधीन था लेकिन समय-समय पर होने वाले मरम्मत के लिए इसे नगर निगम मुरैना के सुपुर्द कर दिया गया था, तब से इस स्टेडियम के हालात और खराब होते गए हैं. खिलाड़ियों की मांग पर जनप्रतिनिधियों ने सिंथेटिक ट्रैक बनाने का आश्वासन दिया और कांग्रेस की सरकार बनते ही 2018 में यहां सिंथेटिक ट्रैक बनाने के लिए 6 लाख रुपए स्वीकृत भी हुए, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी यहां ट्रैक तैयार नहीं हो सका है. वहीं बताया जा रहा है कि एस्टीमेट रिवाइज होने के कारण ट्रैक की लागत 8 लाख रुपए हो गई है, लेकिन अभी भी टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है.
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फिलहाल बारिश के कारण ट्रैक पर जगह-जगह पानी और कीचड़ होने की वजह से खिलाड़ी अभ्यास नहीं कर पा रहे हैं, जिससे भविष्य में होने वाली राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ी अपने आप को कमजोर महसूस करने लगे हैं.