मुरैना।मध्यप्रदेश के दमोह जिले से आगरा उत्तर प्रदेश 2 महीने पहले रोजगार की तलाश में 50 मजदूर अपने परिवार के साथ गए थे, जिन्हें लॉकडाउन के कारण काम नहीं मिला. तो मजबूरन अपने गृह जिले लौटने के लिए विवश हो गए. ये मजदूर आगरा से पैदल ही चल दिए, जिनके सिर पर सामान की गठरी रखी है, तो गोदी में छोटे-छोटे बच्चे.
आगरा से दमोह पैदल ही चल दिए मजदूर, बिना जांच और स्क्रीनिंग के पहुंच गए मुरैना - पैदल मुरैना पहुंचे मजदूर
उत्तर प्रदेश के आगरा में 2 महीने पहले रोजगार की तलाश में गए 50 से ज्यादा मजदूर लॉकडाउन में काम न मिलने के कारण अपने गृह जिले दमोह के लिए पैदल ही चल दिए. जो 70 किलोमीटर तय कर मुरैना पहुंचे. लेकिन सवाल उठता है कि 50 मजदूर बिना किसी जांच पड़ताल और थर्मल स्क्रीनिंग के कैसे आ गए.
इन हालातों में पैदल चलकर आगरा से दमोह तक का सफर कितना कठिन होगा, यह तो तय करने वाले लोग ही महसूस कर सकते हैं. लेकिन इस परिस्थिति में अभी अगर लोग पैदल अपने घर जाने को बेबस हैं, तो उनकी परेशानी का अंदाजा लगाया जा सकता है. ऐसे में सरकारों के मजदूरों को बुलाने की व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं.
इस तरह बड़ी संख्या में मजदूरों का आवागमन चलता रहा और सीमाओं पर किसी तरह की रोक टोक नहीं हुई, यह दर्शाता है कि कोरोना जैसी महामारी के संक्रमण को फैलने से रोकना सरकारों या प्रशासनिक अधिकारियों के या तो बस में नही है या फिर ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी का पूर्ण रूप से पालन नहीं कर रहे. ऐसे में सीमाओं को सील करने का फायदा ही क्या है.