ग्वालियर। एक बार फिर चंबल अंचल डकैत की आतंक को लेकर पूरे देश में सुर्खियों में है.चंबल में पुलिस के लिए नासूर बन गया है 60 हजार का इनामी कुख्यात डकैत गुड्डा. डकैत गुड्डा गुर्जर ने ग्वालियर चंबल अंचल की पुलिस के लिए इस कदर नासूर बन गया है कि उसके आतंक ने पुलिस की रातों की नींद और दिन का चैन छीन लिया है. पिछले कई महीनों से ग्वालियर चंबल अंचल की पुलिस गुड्डा गुर्जर को पकड़ने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही है, लेकिन हर बार यह डकैत पुलिस को चकमा देकर मौके से भाग जाता है. गुड्डा की तलाश में पुलिस जंगलों में डेरा डाले हुए है, लेकिन डकैत पुलिस की गिरफ्त से कोसों दूर है.
एमपी पुलिस के लिए चुनौती बना गुड्डा गुर्जर क्यों नाकाम हो रही है पुलिस:डकैत गुड्डा गुर्जर पर 26 से ज्यादा संदिग्ध मामले दर्ज हैं. उसपर 60 हजार का इनाम भी घोषित किया जा चुका है. पुलिस की टीमें गुड्डा गुर्जर की तलाश में जंगलों की खाक छान रही हैं. इसके बावजूद ऐसा क्या है कि पुलिस को कामयाबी नहीं मिल रही है. यही सवाल खड़ा हो रहा है कि कई बड़े डकैतों को पकड़ चुकी या उनका सरेंडर करा चुकी पुलिस डकैत गुड्डा गुर्जर को पकड़ने में क्यों नाकाम है. ऐसा क्यों होता है कि पुलिस के पहुंचने से पहले ही शातिर डकैत मौके से फरार फरार हो जाता है. डकैत और उसकी गैंग गावों से टेरर टैक्स वसूलती है. इसके लिए गांवों में उसका मूवमेंट भी होता है, लेकिन यह शातिर डकैत पुलिस के पहुंचने से पहले ही वहां से निकल जाता है. उसे जब भी पुलिस से खतरा महसूस होता है तो मध्य प्रदेश की सीमा से दूर राजस्थान और यूपी के जंगलों में अपना ठिकाना बना लेता है.
एमपी पुलिस के लिए चुनौती बना गुड्डा गुर्जर पुलिस के लिए सिरदर्द बना 60 हजार का इनामी डकैत गुड्डा गुर्जर, कांग्रेस का आरोप भाजपा नेताओं का मिल रहा संरक्षण
क्या पुलिस से ज्यादा मजबूत है डकैत गुड्डा का मुखबिर तंत्र:एंटी डकैत स्क्वायड में शामिल रहे चुके पुलिस के सीनियर अधिकारी मानते हैं कि डकैत गुड्डा गुर्जर का मुखबिर तंत्र पुलिस की इंफॉर्मेशन पर भारी पड़ रहा है. यही वजह है कि वह जैसे ही पुलिस उसे घेरने की प्लानिंग बनाती है वह मौके से फरार हो जाता है. रिटायर्ड अधिकारी पुलिस के मुखबिर तंत्र को फेल बताते हुए कहते हैं कि यही वजह है कि गुड्डा पुलिस के पहुंचने से पहले ही भाग जाता है. वे पुलिस को भरोसेमंद इंफॉर्मर्स बढ़ाने, ग्रामीणों से मिलने और उन्हें गुड्डा के आतंक से मुक्ति दिलाने का भरोसा दिलाने की सलाह देते हैं. पुलिस अधिकारी मानते हैं कि मुखबिर का भरोसेमंद होना बेहद जरूरी होता है. आजकल मुखबिर भी शातिर हो गए हैं. वे पुलिस और गैंग दोनों से पैसा वसूलते हैं और एक दूसरे की इंफॉर्मेशन साझा कर देते हैं. वे मौजूदा पुलिस अधिकारियों को ऐसे ऑपरेशन के लिए अनुभवहीन और युवा मानते हुए सलाह देते हैं कि नए अधिकारियों को अपने वरिष्ठों और रिटायर्ड अधिकारियों से सलाह मशविरा करना चाहिए.
एमपी पुलिस के लिए चुनौती बना गुड्डा गुर्जर
बीते 6 महीने से जारी है गुड्डा को पकड़ने के लिए ऑपरेशन:पिछले 6 महीने से चंबल की पुलिस डकैत को पकड़ने के लिए लगातार प्लानिंग और ऑपरेशन कर रही है. कई थानों की टीमें जंगलों में लगातार सर्चिंग कर रहीं हैं, लेकिन कुख्यात डकैत गुड्डा गुर्जर हर बार पुलिस को चकमा देकर भाग जाता है. मुरैना पुलिस अधीक्षक आशुतोष बागरी के नेतृत्व में एक अलग से डकैत को पकड़ने के लिए टीम गठित की है, लेकिन इस टीम को भी अभी तक कोई सफलता हासिल नहीं हुई है. ईटीवी भारत नेे रिटायर्ड अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रणधीर सिंह रूहल ने बातचीत की. वे बताते हैं कि-
- सबसे बड़ा कारण चंबल पुलिस का मुखबिर तंत्र पूरी तरह फेल या कमजोर है.
- पुलिस के मुखबिर विश्वास पात्र नहीं हैं हो सकता है कि किसी न किसी माध्यम से पुलिस की जानकारी डकैत तक पहुंच जाती हो.
- पुलिस अधीक्षक आशुतोष बागरी ने जिन अधिकारियों को इस डकैत को पकड़ने की जिम्मेदारी दी है वे अनुभवहीन हैं. इसी वजह से इस कुख्यात डकैत को पकड़ने में सफलता नहीं मिल पा रही है.
- चंबल में नवागत अधिकारियों के इंटेलिजेंस कलेक्शन पूरी तरह फेल है.
- डकैत को पकड़ने के लिए ऐसे सभी अधिकारियों को शामिल करना बहुत जरूरी है जो डकैतों को पकड़ने में सफलता हासिल कर चुके हैं. चंबल में कई ऐसे पूर्व पुलिस अधिकारी हैं जिन्होंने कई डकैतों को मार गिराया है या उन्हें पकड़ा है. ऐसे पूर्व अधिकारियों की राय लेना कारगर साबित हो सकता है.
कांग्रेस ने लगाया राजनीतिक संरक्षण का आरोप: कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है किमुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चंबल आईजी और पुलिस अधीक्षक डकैत गुड्डा गुर्जर को पकड़ने को लेकर सख्त निर्देश दे चुके हैं, लेकिन गुड्डा की सक्रियता बताती है कि मुख्यमंत्री के निर्देश भी हवा हवाई ही हैं. आरपी सिंह आरोप लगाते हैं कि इस कुख्यात डकैत को स्थानीय भाजपा नेताओं का भी संरक्षण हासिल है.