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कारगिल युद्ध में मुरैना के इस वीर ने पाकिस्तानी सैनिकों के किए थे दांत खट्टे, सुनिए खुद योगेंद्र तोमर की जुबानी - Kargil war between India and Pakistan

मुरैना जिले के योगेंद्र सिंह तोमर ने रिटायर्ड का समय पूरा होने के बाद भी 8 महीने तक पाकिस्तानी सीमा पर तैनात रहकर भारतीय सीमा की सुरक्षा करते हुए भारतीय थल सैनिकों की सुरक्षा की थी. जवान योगेंद्र सिंह तोमर ने कारगिल युद्ध के दौरान अजवानी टॉप, नत्था टॉप पर तैनात रहकर आर्मी के वायुसेना बेस के माध्यम से पाकिस्तानी सीमा की सुरक्षा की थी.

Yogendra Singh Tomar of the Army
वायसेना के जवान योगेंद्र सिंह तोमर

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Published : Jul 23, 2020, 10:54 PM IST

Updated : Jul 24, 2020, 12:55 AM IST

मुरैना। 26 जुलाई 1999 के दिन कारगिल के युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के दांत खट्ठे कर दिए थे. जिसके बाद पूरा देश 26 जुलाई के दिन को विजय दिवस के रुप में याद करता है. कारगिल की पहाड़ियों पर चले करीब 60 दिनों तक युद्ध में हिंदुस्तानी सेना ने पाकिस्तानी सेना को चारों खाने चीत कर दिया था. युद्ध के दौरान भारतीय सेना पर कहीं पाकिस्तानी वायु सेना हवाई हमला न कर दें इसलिए थल सेना की रक्षा करने के लिए वायु एयरवेज कंपनी की भी युद्ध में मदद ली गई थी. जिसमें मुरैना जिले के योगेंद्र सिंह तोमर ने रिटायर्ड का समय पूरा होने के बाद भी 8 महीने तक पाकिस्तानी सीमा पर तैनात रहकर भारतीय सीमा की सुरक्षा करते हुए भारतीय थल सैनिकों की सुरक्षा की थी.

कारगिल युद्ध के हीरो योगेंद्र सिंह तोमर

मुरैना जिले की अंबाह तहसील के कटैलापुरा गांव में जन्में थल सेना की एयरवेज कंपनी में तैनात जवान योगेंद्र सिंह तोमर ने कारगिल युद्ध के दौरान अजवानी टॉप, नत्था टॉप पर तैनात रहकर आर्मी के वायुसेना बेस के माध्यम से भारतीय सीमा की सुरक्षा की थी.

इसके साथ ही कारगिल सेक्टर में हजारों फीट ऊंचाई वाली चोटियों पर अलग-अलग सेक्टर में युद्ध के लिए सैन्य टुकड़ियों को तैनात किया गया था. एयरवेज कंपनी के अन्य जवानों के साथ-साथ, योगेंद्र सिंह तोमर ने थल सेना की सुरक्षा की और आवश्यक संसाधन सैनिकों को विभिन्न सेक्टरों में पहुंचाया. ताकि पाकिस्तानी आर्मी को खदेड़ कर देश की रक्षा करते हुए तिरंगे का परचम लहराया जा सके.

विजय दिवस स्मारक

सेना से योगेंद्र सिंह तोमर को मिला था ये आदेश

एयरवेज कंपनी में तैनात जवान योगेंद्र सिंह तोमर कारगिल युद्ध के दौरान रिटायर होने वाले थे. लेकिन सेना से आदेश मिला कि जब तक सीमा पर हालात सामान्य नहीं हो जाते आपको सेवानिवृत्ति नहीं मिल सकती. तब योगेंद्र सिंह तोमर ने पाकिस्तानी सेना से युद्ध करने का रास्ता चुना और भारतीय थल सेना के हवाई सेना कैंप में तैनात होकर हेड क्वॉर्टर घोघड़ा, छतरगढ़ सेक्टर और बुलंदपुर पोस्ट पर थल सेना के वायु सेना कैंप में तैनात रहकर दुश्मनों की वायु सेना की निगरानी करते हुए भारतीय थल सेना को समय-समय पर आवश्यक संसाधन और हथियार मुहैया कराते रहे और इस तरह कारगिल युद्ध के बाद योगेंद्र सिंह तोमर ने निर्धारित समय से 8 माह बाद रिटायरमेंट लिया.

सेना के दौर का फोटो

पहाड़ियों पर रसद पहुंचाना था चुनौती भरा काम

कारगिल सेक्टर के अजवानी टॉप, नत्था टॉप जैसी दुर्दांत चोटियों पर वायुसेना के लिए काम करने वाली टुकड़ी ने राजपूताना राइफल्स और राजपूताना रेजीमेंट के जवानों को रसद पहुंचाकर मदद करते हुए कारगिल युद्ध में विजय दिलाई थी. कारगिल युद्ध को 26 जुलाई को 21 साल पूरे हो रहे हैं. इस मौके पर योगेंद्र सिंह तोमर ने उन दिनों को याद करते हुए बताया कि कारगिल की पहाडियां काफी ऊंची थी. इसलिए हमें यह आदेश दिया गया कि पाकिस्तान की पूर्व सीमाओं पर अटैक किया जाए.

परिवार के साथ योगेंद्र सिंह तोमर

कारगिल युद्ध के समय J&K में थे तैनात

वायुसेना के जवान योगेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि जब कारगिल युद्ध छिड़ गया था उस समय वो जम्मू-कश्मीर के डोरा सेक्टर में तैनात थे. उन्होंने बताया कि आज 21 साल बाद भी वह क्षण सेना के एक जवान के जेहन में जीवंत है. जिन्होंने कारगिल युद्ध में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष भाग लेकर पाकिस्तानी सेना को नेस्तनाबूद किया था.

retired jawan Yogendra Tomar
Last Updated : Jul 24, 2020, 12:55 AM IST

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