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दुर्लभ इंडियन स्कीमर के लिए वरदान बनी चंबल नदी, ग्रामीणों का मिला साथ तो बड़ा हुआ परिवार

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Published : Jul 30, 2021, 1:07 PM IST

पूरी दुनिया में दुर्लभ हो चुके इंडियन स्कीमर पक्षी के लिए चंबल नदी वरदान साबित हो रही है. वरदान की कहानी रोचक है. इनको बढ़ाने और सहेजने का काम किया है आम लोगों ने.

Indian Schemer in Chambal
दुर्लभ इंडियन स्कीमर के लिए वरदान बनी चंबल नदीं

मुरैना। दुर्लभ हो चुके इंडियन स्कीमर पक्षी के लिए चंबल नदी वरदान साबित हो रही है. पहले इस पक्षी की संख्या पूरी दुनिया के साथ चंबल में भी कम थी. इस बदलाव से वन विभाग फिक्रमंद हुआ और उसने इन्हें बचाने की मदद ने तस्वीर बदल दी.

इंडियन स्कीमर्स का बसेरा

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कैसे हुआ ये कायाकल्प?

ग्रामीणों ने कटीली झाड़ियों की बागड़ और लठ की सहायता से इन पंछियों के अंडों को सहेजा. इन्हें मांसाहारी जीवों के हमले से बचाया. नतीजा सामने है. बीते 4 साल से चंबल नदी में इंडियन स्कीमर पक्षी का कुनबा बढ़ने लगा है. साल 2017 में जहां चंबल में इनकी संख्या 412 थी, वहीं अब बढ़कर 550 से अधिक हो गई है.

और मिल गया नया आसमान

रोचक है दास्तां

दरअसल, वन विभाग ने इस चिड़िया के संरक्षण और इसकी आबादी बढ़ाने के लिए चार 4 पहले मुंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी नाम की संस्था से सहयोग मांगा. 2017 में यह संस्था चंबल नदी में काम करने आई और सबसे पहले इंडियन स्कीमर के प्रजनन क्षेत्रों और उनकी वंश वृद्धि में आ रही अड़चनों का बारीकी के सर्वे किया.

सर्वे में पता चला कि यह पक्षी जहां-जहां अंडे देता है, उन जगहों पर लकड़बग्घा, कुत्ते, सांप और मॉनिटर लिजर्ड जैसे जीव पहुंच जाते हैं. जो इंडियन स्कीमर के अंडाें को खा जाते थे, इसके अलावा चंबल नदी में जाने वाली ग्रामीणों की भैंसों का झुंड गर्मी से राहत के लिए इन टापुओं पर लौटते थे. जिससे अंडे चकनाचूर हो जाते हैं.

चंबल का साफ पानी है पसंद

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इसके बाद वन विभाग और बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी ने ग्रामीणों की मदद ली. जहां-जहां इस पंछी के अंडों के घोंसले थे वहां तीन-तीन ग्रामीणों को रखवाली के लिए तैनात किया गया. ग्रामीणों ने लकड़बग्घा, सांप, कुत्ते और भैंसों से अंडों को बचाने के लिए पारंपरिक तरीके की कांटों की झाड़ियों से बागड़ बनाई. दिन में ग्रामीण लाठी लेकर रखवाली करते थे तो रात में बागड़ अंडों की रखवाली करती थी.

नतीजा यह हुआ कि 2017 में जब यह कवायद शुरू हुई थी तब चंबल में 412 इंडियन स्कीमर पक्षी थे, आज इनकी संख्या 550 को पार कर गई है.

पाकिस्तान और बांग्लादेश से अधिक संख्या भारत में
चंबल नदी के अलावा देश में ऐसे कई स्थान हैं जहां इंडियन स्कीमर का बसेरा है. गंगा, यमुना और सोन नदी में भी इन तीनों नदियों की मौजूदगी है. लेकिन चंबल की तुलना में न के बराबर. वो इसलिए क्योंकि चंबल नदी का पानी स्वच्छ है, इंडियन स्कीमर और उनके बच्चों के लिए भोजन के लिए मछली व अन्य छोटे जलीयजीव भरपूर मात्रा में हैं.

यह सुंदर पक्षी भारत के अलावा वर्तमान में पाकिस्तान, बांग्लादेश के अलावा एशिया के कुछ और देशों में पाया जाता है. पूरी दुनिया में इस चिड़िया की आबादी 2200-2500 के बीच ही है.

कैसा दिखता है इंडियन स्कीमर?

काले पंख और सिर, सफेद गर्दन-पेट और नारंगी-पीली रंग की लंगी चोंच वाला इंडियन स्कीमर पक्षी, दुनिया के अधिकांश देशों में विलुप्त हो चुका है. वर्तमान में चंबल नदी (मुरैना ओर भिंड जिले) में इस चिड़िया का कुनबा 550 सदस्यों से ज्यादा का है और लगातार बढ़ रहा है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के इटावा क्षेत्र से गुजरी चंबल नदी में भी इंडियन स्कीमर अच्छी-खासी संख्या में पाई जाती हैं।

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