मुरैना। औद्योगिक क्षेत्र सहित अन्य जगह लगाई जाने वाली औद्योगिक इकाइयों के साथ ही ग्रीन बेल्ट डेवलप करना औद्योगिक इकाइयों की जवाबदेही होती है, जिसकी मॉनिटरिंग करने की जिम्मेदारी शासन के कई विभागों की है, लेकिन वर्तमान में उद्योगों को बढ़ावा देने के नाम पर पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुंचाया जा रहा है. ग्रीन बेल्ट विकसित नहीं कर आम लोगों के जनजीवन से बड़ा खिलवाड़ किया जा रहा है, प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है.
हवा में जहर घोल रहे उद्योग धंधे, ग्रीन बेल्ट पर नहीं कोई स्पष्ट दिशा-निर्देशः एके तिवारी - pollution effect temperature
बढ़ते उद्योग धंधे और इंडस्ट्रीयल डेवेलपमेंट के बीच ग्रीन बेल्ट निर्माण की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. जिससे दिन पर दिन ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है और लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ रहा है.
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ग्रीन बेल्ट के नाम पर छोड़ी गई 40 फीसदी जमीन पर पौधा लगाना जरुरी है कि नहीं. इसके लिए सरकार ने भी कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया है. जिसके चलते उद्योगपति ग्रीन बेल्ट की जमीन पर पार्किंग जैसे अन्य काम करते हैं. पर्यावरणविद प्रोफेसर डॉक्टर विनायक तोमर का कहना है कि ऐसे पौधे लगाने चाहिए, जो बड़े तनों वाले हो, जिनमें ऑक्सीजन उत्सर्जित करने की क्षमता अधिक हो और कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर वातावरण को शुद्ध करने में सक्षम हो.
जिला व्यापार समिति के महाप्रबंधक एके तिवारी का कहना है कि लगातार 47 डिग्री तापमान होने के पीछे कारण ये है कि फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं और अपशिष्ट पदार्थ से वातावरण प्रदूषित हो रहा है. ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है. ग्रीन बेल्ट डेवलप करने के लिए संबंधित विभागों और अधिकारियों को कोई स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं दिया है. जिसके चलते विभाग सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है. यही हालात रहे तो दो ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करना सरकार के लिए मुश्किल ही नहीं असंभव हो जाएगा.