मुरैना। कुपोषण मुक्त जिला बनाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है, इसके बावजूद कुपोषित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. दस्तक अभियान की शुरुआत में ही 110 बच्चे चिन्हित किए गए, जबकि जिले में 6 एनआरसी केंद्रों की क्षमता मात्र 90 बच्चों की है. वहीं कलेक्टर प्रियंका दास का कहना है कि जब तक बच्चे चिन्हित नहीं होंगे, तब तक उन्हें इलाज और उचित देखभाल कैसे मिलेगी.
जिले में बढ़ रहे कुपोषण के मामले, कलेक्टर ने इलाज का दिया आश्वासन - mp news
कुपोषण मुक्त जिला बनाने के लिए खर्च किए जा रहे करोड़ों की राशि का कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है. दिनोंदिन कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है. वहीं कलेक्टर का कहना है कि ऐसे बच्चों के चिन्हित होने पर उनके इलाज की पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी.
जिले के 6 में से 3 एनआरसी केंद्रों में 10-10 बच्चों के भर्ती होने की सुविधा है, तो वहीं 2 एनआरसी केंद्रों में 20-20 बच्चे एक समय में भर्ती हो सकते हैं, लेकिन वर्तमान में इन सभी एनआरसी केंद्रों पर क्षमता से अधिक कुपोषित बच्चे भर्ती किए जा रहे हैं. इस पर कलेक्टर का कहना है कि ज्यादा बच्चे अगर चिन्हित किये जा रहे हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है, उनका उचित इलाज कर कुपोषण से निपटा जाएगा.
बता दें कि कुपोषित बच्चों को एनआरसी केंद्र में 14 दिन के लिए भर्ती किया जाता है. उनकी देखभाल के साथ-साथ उचित उपचार मुहैया कराया जाता है. साथ ही एनआरसी केंद्र के डाइटिशियन की देखरेख में दिए जाने वाले 60 दिन पोषण आहार का कोर्स दिया जाता है. एनआरसी से छुट्टी मिलने के बाद कुपोषित बच्चों के माता-पिता को हर 15 दिन में बच्चे को लेकर आना होता है, जहां समय-समय पर बच्चे के विकास और स्वास्थ्य की जांच की जाती है.