मुरैना। सावन का पूरा महीना विशेष प्रकार के त्योहार के रूप में मनाया जाता है. कभी अच्छी बारिश की शुरुआत के लिए हरियाली महोत्सव मनाया जाता है, तो कभी फसलों की शुरुआत से किसानों का मन प्रफुल्लित होता है. वहीं बहनों के लिए सावन महीना हिंडोली और मल्हार सहित रक्षाबंधन के विशेष त्योहार के लिए प्रसिद्ध है. आधुनिकता के दौर में अब सावन के महीने में ना तो हरियाली महोत्सव को गंभीरता से लिया जाता है और ना ही बहनें हिंडोले झूलती कहीं दिखाई देती हैं. झूलते समय गाए जाने वाले लोकगीत मल्हार की गूंज भी अब कहीं खो गई है.
वर्तमान दौर में संचार क्रांति ने आदमी की व्यस्तता इतनी बढ़ा दी है कि वह समाज, संस्कृति और परंपराओं के लिए उसके पास समय ही नहीं है. हर शख्स मोबाइल और कंप्यूटर में अपनी एनर्जी को लगाने से खुद को योग्य और आधुनिक मानने लगा है. मोबाइल की व्यस्तता में इंसान इतना खो गया है कि वह हर पल आभासी दुनिया में ही खोया रहता है. किसी को एक-दूसरे से बात करने तक की फुर्सत नहीं है. एक समय था जब लोग चाहे शहर के हों या ग्रामीण क्षेत्र के त्योहारों को बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाते थे.