मुरैना। ग्वालियर चंबल अंचल की 16 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के चलते पुलिस अलर्ट पर है. एमपी में सबसे ज्यादा लाइसेंसी हथियार चंबल अंचल में ही पाए जाते हैं. खास बात ये है कि लाइसेंसी के अलावा यहां अवैध हथियारों की संख्या बेहद ज्यादा है, जो उपचुनाव में पुलिस के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होते. लिहाजा उपचुनाव के मद्देनजर पुलिस हथियार तस्करों की धरपकड़ में जुटी है, क्योंकि चुनाव आते ही अंचल में हथियार तस्कर गिरोह सक्रिय हो जाते हैं, जिससे चुनाव के दौरान भय का माहौल बनाया जा सके. यही वजह है कि अंचल में चुनाव के वक्त बूथ कैप्चरिंग जैसी घटनाएं सामने आती रही हैं.
उपचुनाव में अवैध हथियारों का उपयोग कैसे रूकेगा 290 प्रकरण आर्म्स एक्ट के तहत पंजीकृत
मुरैना जिले में वर्तमान में 27,500 से अधिक शस्त्र लाइसेंस धारी हैं. जिन्हें प्रशासन द्वारा चुनाव आयोग के निर्देशों पर संबंधित थाना में जमा करा दिया गया है. बावजूद इसके अंचल में अवैध हथियारों का खजाना है. पुलिस द्वारा मिले आंकड़ों की बात करें, तो चुनावों की तैयारियों शुरू होने से लेकर अब तक मुरैना जिले में लगभग 290 प्रकरण आर्म्स एक्ट के तहत पंजीकृत किए गए हैं.
अवैध हथियारों पर पुलिस की पैनी नजर
ग्वालियर चंबल अंचल की पुलिस ने चुनाव से एक महीने पहले ही अपने मुखबिर तंत्रों को मजबूत कर लिया है, और उनके जरिए अंचल में खपाए जा रहे अवैध हथियारों की तस्करी और तस्करों की धरपकड़ के लिए लगातार कार्रवाई की जा रही है.पुलिस ने ग्वालियर चंबल अंचल से जोड़ने वाली दूसरी राज्यों की सीमाओं पर चौकसी बढ़ा दी है. साथ ही उत्तर प्रदेश की सीमा पर पुलिस पूरी तरह से निगरानी में लगी हुई है.
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बीहड़ क्षेत्र में अपराधियों तक पहुंचना बड़ी चुनौती
राजनीतिक मामलों के विश्लेषकों का मानना है कि अंचल बीहड़ वाला क्षेत्र होने के कारण यहां अपराधी हमेशा से शरण लेते रहे हैं, क्योंकि यह क्षेत्र पुलिस की पहुंच के लिए आसान नहीं है. जब-जब अपराधी पुलिस से दूर रहना चाहते हैं, तो बीहड़ की शरण में जाते हैं. अपराधी चंबल पार कर राजस्थान और उत्तर प्रदेश में चले जाते हैं, इसी तरह राजस्थान और उत्तर प्रदेश के अपराधी भी मध्यप्रदेश की सीमा में आकर शरण देते ले रहे हैं, इसीलिए चंबल अंचल में होने वाले चुनावों के दौरान अपराधियों द्वारा अवैध हथियारों का उपयोग किया जाता रहा है, हालांकि पुलिस द्वारा समय-समय पर इस पर अंकुश लगाने की प्रभावी कार्रवाई योजनाबद्ध तरीके से कर रही है, लेकिन सफल हो ऐसी परिस्थिति अभी तक नहीं बन पाई है, पुलिस को इस मामले में और अधिक तैयारी करने की आवश्यकता है.
चंबल अंचल का मुरैना हमेशा दुर्दांत बीहड़, बागी और बंदूकों की आवाज से गूंजने वाला इलाका माना जाता रहा है. यही कारण है कि चुनाव के समय शासन प्रशासन की चिंता और भी बढ़ जाती है, ताकि शांतिपूर्ण चुनाव हो सके.