मुरैना। जिले के साथ-साथ पूरा मध्य प्रदेश कुपोषण का दंश झेल रहा है. सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को पोषित नहीं किया जा सका और अब आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से कुपोषण पर काम करने के बजाए बीपीएल का सर्वे कार्य कराया जाएगा. इससे आंगनबाड़ी केंद्रों का काम भी प्रभावित होगा. जिसमें सबसे महत्वपूर्ण कुपोषित बच्चों की देखभाल करना है.
ऐसे-कैसे मिटेगा मध्यप्रदेश से कुपोषण, जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हों BPL सर्वे में व्यस्त - BPL सर्वे
अब आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से कुपोषण पर काम करने के बजाए बीपीएल का सर्वे कार्य कराया जाएगा. सरकार के इस फैसले से आंगनबाड़ी केंद्रों का काम भी प्रभावित होगा. जिसमें सबसे महत्वपूर्ण कुपोषित बच्चों की देखभाल करना है.
मध्यप्रदेश मे 1 करोड़ 17 लाख 40 हजार 426 से अधिक बीपीएल परिवारों के सत्यापन के लिए 61 हजार 441 दल बनाए गए हैं. इन दलों में 14 हजार 983 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं अपना केंद्र बंद कर काम करेंगी. वहीं मुरैना जिले में दो लाख 18 हजार 117 परिवारों के बीपीएल सत्यापन के लिए 1164 दल बनाए गए हैं. इनमें राजस्व विभाग के पटवारी, ग्राम पंचायत के सचिव, ग्राम रोजगार सहायक सहित आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भी शामिल किया गया है.
जिलेभर में 2 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं, जहां केवल कार्यकर्ता ही पदस्थ हैं सहायका पदस्थ ही नहीं है. ऐसे केंद्रों पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अगर सर्वे कार्य में लगेंगे तो केंद्रों पर ताला लग जाएगा. ऐसे में मुरैना से कुपोषण मिटाने का सपना कहीं सपना बना ही ना रह जाए. सरकार को समझना होगा कि अगर कुपोषण मिटाना है तो इसे लेकर लापरवाही बिल्कुल नहीं बरती जा सकती.