मुरैना। स्कूल चलें हम, सब पढ़ें सब बढ़े, पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया, जैसे स्लोगन जिधर भी नजर घुमाएंगे, उधर ही नजर आ जाएंगे. पर ये बच्चे तालीम के लिए घर से निकल भी जायें तो जायें कहां क्योंकि मुरैना के शासकीय नवीन हाई स्कूल को साइकिल का गोदाम बना दिया गया है और सवाल करने पर जिम्मेदार एक दूसरे को टोपी पहना रहे हैं, जबकि नया शिक्षण सत्र शुरू हुए एक पखवाड़ा बीतने वाला है, बावजूद इसके क्लासरूम में साइकिलों से ठसाठस भरे हैं. स्कूल भवन को गोदाम बनाने की अनुमति देने वाले प्रभारी प्रधानाचार्य का जवाब भी अब आपको सुनवाते हैं कि कैसे खंड शिक्षा अधिकारी ने उन पर दबाव बनाकर उनसे ये काम करवाया है.
स्कूल तो चलें हम पर कहां पढ़ें हम, जब स्कूल ही बन गया साइकिल का गोदाम
मुरैना के शासकीय नवीन हाई स्कूल के हालत ये है कि नया शिक्षण सत्र शुरू हुए एक पखवाड़ा बीतने वाला है, बावजूद इसके क्लासरूम में साइकिलों से ठसाठस भरे हैं और सवाल करने पर जिम्मेदार एक दूसरे को टोपी पहना रहे हैं.
वहीं स्कूल को साइकिल गोदाम बनाने पर हमारे सहयोगी ने जब बीईओ से सवाल किया तो उन्होंने अपने सिर की टोपी बीआरसी के सिर पर डाल दी.बीआरसी कृष्ण ने बताया कि इस संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है और स्कूल परिसर में पिछले कई सालों से साइकिल गोदाम बनता आ रहा है.प्रदेश का ये कोई इकलौता स्कूल नहीं है,जहां विद्यालय को साइकिल असेंबल सेंटर बना दिया गया है, बल्कि सूबे के ज्यादातर स्कूल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं, कहीं स्कूल है तो शिक्षक नहीं, कहीं शिक्षक हैं भवन नहीं, कहीं भवन है तो छात्र नहीं, जबकि कई स्कूल पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं से भी महरूम हैं तो कहीं जर्जर भवन मासूमों के सिर पर मौत की तरह मंडरा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बुनियादी सुविधाओं के बिना सिर्फ नारों में ही संवारा जायेगा देश का भविष्य या इसके लिए सरकार कोई मुकम्मल कदम उठायेगी.