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किसानों के दिल्ली कूच का दूसरा दिन, 10 किलोमीटर यात्रा तय कर रुकेंगे आंदोलनकारी

एकता परिषद के नेतृत्व में किसानों के दल दिल्ली आंदोलन के लिए रवाना हुए. इस दौरान पूर्व विधायक महेश दत्त मिश्रा ने किसानों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि किसान खुद को योद्धा समझें और इस लड़ाई में डटे रहें.

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Published : Dec 18, 2020, 9:06 PM IST

farmers led by Ekta Parishad left for Delhi from morena
किसानों के दिल्ली कूच का दूसरा दिन

मुरैना। एकता परिषद के नेतृत्व में दिल्ली आंदोलन के लिए जा रहे किसानों के दल को संबोधित करते हुए पूर्व विधायक महेश दत्त मिश्रा ने कहा कि सरकार सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों पर किसानों को भ्रमित करने का आरोप लगा रही है. जबकि सच्चाई यह है प्रदेश का मुख्यमंत्री, देश का कृषि मंत्री और देश का प्रधानमंत्री स्वयं दिग्भ्रमित हैं. इसलिए सभी किसान अपने आप को योद्धा समझें और इस लड़ाई में डटे रहें. साथ ही उनका नेतृत्व कर रहे एकता परिषद के पीवी राजगोपाल को इस आंदोलन की मुरैना जिले से शुरुआत करने के लिए धन्यवाद भी दिया और कहा कि जब तक किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं होता तब तक वह मैदान में डटे रहें.

किसानों के दिल्ली कूच का दूसरा दिन

एकता परिषद के नेतृत्व में मुरैना से दिल्ली के लिए रवाना हुए किसानों ने आज दूसरे दिन तक 15 किलोमीटर की दूरी तय की है और आज रात नेशनल हाईवे किनारे एक बाधा गांव पर विश्राम किया जाएगा. जबकि बीते दिन जिले में आम सभा को संबोधित करने के बाद राजू भाई के नेतृत्व में किसानों का दल पैदल रवाना हुआ था, जो शहर से 6 किलोमीटर दूर तक चला और घराना हनुमान मंदिर पर रात्रि विश्राम किया.

किसानों के दिल्ली कूच का दूसरा दिन

किसान आंदोलन को सरकार दबा नहीं सकती

एकता परिषद के कार्यकर्ताओं का मानना है कि कृषि मंत्री के संसदीय क्षेत्र से आंदोलन की शुरुआत कर यह साबित किया जाएगा. आंदोलन को सरकार दबा नहीं सकती और उससे किसानों को होने वाले नुकसान की जानकारी अब दूरदराज क्षेत्र में बसे ग्रामीणों तक भी सामाजिक संगठनों के माध्यम से पहुंचने लगी है. उन संगठनों के नेतृत्व में अब किसान आंदोलन में शरीक होने देश के कोने-कोने तक पहुंचने का रास्ता तय करने लगे हैं. हालांकि केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों के नाम एक खुला पत्र भी लिखा था, जिसमें लाए गए तीन कानूनों से किसानों को क्या फायदे होंगे यह समझाने की कोशिश की गई है. बावजूद इसके किसान और उनका नेतृत्व कर रहे सामाजिक संगठन आंदोलन को समाप्त करने की दिशा में कोई कदम उठाना नहीं चाहते.

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