मुरैना।उपज बेचने आ रहे किसानों को रात भर वेयरहाउस में कैद होकर रहना पड़ रहा है. समर्थन मूल्य पर अपनी उपज बेचने आ रहे किसानों को कई दिनों तक उपज बेचने का इंतजार करना पड़ रहा है. इस समय मुरैना जिले में समर्थन मूल्य पर खरीदी का काम जोरों पर है. मुरैना के सेंट्रल वेयरहाउस नंबर 2 में भी मार्केटिंग सोसायटी द्वारा किसानों के बाजरे की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही है. इस वेयर हाउस में जिन किसानों की उपज तोलने की बारी आती है, उन्हें टोकन देकर वेयरहाउस के अंदर बुला लिया जाता है और बारी बारी से जिनकी उपज तुल जाती है, किसान अपना वाहन लेकर एक वेयरहाउस में घुस जाता है तो वह वेयरहाउस से निकल नहीं पाता है. प्रंबधन की इस लापरवाही से किसानों को एक ही बल्कि कई दिनों तक वेयरहाउस में रहना पड़ रहा है.
उपज बेचने आ रहे किसानों को वेयरहाउस में किया जा रहा है कैद, प्रबंधक की लापरवाही से बन रहे हैं ऐसे हालात - Warehouse imprisoned farmer
मुरैना जिले में समर्थन मूल्य पर खरीदी का काम जोरों पर है. मुरैना के सेंट्रल वेयरहाउस नंबर 2 में भी मार्केटिंग सोसायटी द्वारा किसानों के बाजरे की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही है. इस वेयर हाउस में जिन किसानों की उपज तोलने की बारी आती है, उन्हें टोकन देकर वेयरहाउस के अंदर बुला लिया जाता है और बारी बारी से जिनकी उपज तुल जाती है, किसान अपना वाहन लेकर एक वेयरहाउस में घुस जाता है तो वह वेयरहाउस से निकल नहीं पाता है.
इसके पीछे का कारण यह है कि वेयरहाउस के प्रबंधक मेन गेट का ताला लगाकर चाबी अपने साथ ले जाया करते हैं और फिर किसी भी दशा में यह ताला नहीं खुलता है. हालांकि वेयर हाउस पर दो चौकीदार भी नियमित रूप से अलग-अलग पाली में रहते हैं लेकिन किसी भी व्यक्ति को अंदर से बाहर निकलने की अनुमति बिना मैनेजर की उपस्थिति में नहीं होती है.
जब इस समस्या को लेकर कलेक्टर अनुराग वर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि किसी भी किसान को मजबूरन वेयरहाउस में कैद रहने अथवा बंधक बनाने की कोई मंशा किसी की नहीं रहती है. कर्मचारी और प्रबंधक कहीं चले गए थे इसलिए गेट में ताला डालना पड़ा हालांकि उन्हें बाद में किसानों से शिकायत मिलने पर भेज दिया गया और वह ताला खोलकर किसानों को निकाला गया है. लेकिन किसानों का कहना है कि यह सिर्फ एक दिन का काम नहीं है. यहां आए दिन यही हालात रहते हैं कई किसान बेचारे मजबूर होते हैं वह न कलेक्टर तक पहुंच पाते हैं और ना ही मीडिया तक ऐसे में इन किसानों को प्रबंधक की मनमानी के चलते रात भर भूखे प्यासे रहकर वेयरहाउस में कैद रहना पड़ता है.