मुरैना। मकर संक्रांति के पर्व पर तिल से बनी मिठाइयों का विशेष महत्व होता है, जिसमें ग्वालियर-चंबल इलाके में सबसे मुख्य गजक मानी जाती है. गजक की धूम जिले से लेकर पूरे देश और विदेशों तक है. हर साल सर्दियों के मौसम में गजक की सप्लाई पूरे देश में की जाती है. कई लोग विदेशों में बसे अपने रिश्तेदारों तक भी गजक की मिठास पहुंचाते हैं. यही वजह है कि जिले में हर रोज लगभग 20 से 25 क्विंटल गजक को बाहर भेजा जाता है.
गजक का इतिहास मुरैना से ही जुड़ा हुआ है. लोगों की मानें, तो आज से 65 साल पहले गोपालदास के परिवार द्वारा इसे शुरू किया गया था, जिसके बाद अब ये गजक पूरे देश में बनने लगी है.
मकर संक्रांति पर तिल से बनी मिठाइयों का विशेष महत्व होता है. अक्टूबर से शुरू होकर गजक का निर्माण फरवरी महीने तक किया जाता है. जिले में 2 हजार दुकानें हर साल सर्दियों के समय लगती है. हालांकि, कोरोना काल के बावजूद भी अधिक से अधिक दुकानें लगाई जा रही है. मालों की बिक्री भी जोरो-शोरो से हो रही है. हर रोज लगभग 20 से 25 क्विंटल गजक की सप्लाई बाहर के शहरों में भी की जा रही है.
गजक बनाने की विधि सबसे पहले एक कढ़ाई में साफ और स्वच्छ तिल को धीमी आग पर सेंका जाता है. तिल को सेंकने के दौरान विशेष ध्यान रखा जाता है कि तिल जलनी नहीं चाहिए. इसके साथ-साथ गुड़ को एक कढ़ाई में डालकर उसकी चाशनी तैयार की जाती है. चाशनी तैयार होने के बाद उसे निकाल कर ठंडा किया जाता है. उसके बाद चाशनी को इतना खींचा जाता है, जब तक उसका कलर सफेद न हो जाए. चाशनी को खींचने के बाद फिर सेंकी हुई तिल में मिलाया जाता है. इसके बाद हथोड़े के सहारे उसको कूटा जाता है. ये कुटाई लगभग 10 से 15 मिनट तक की जाती है, ताकि दोनों अच्छी तरह मिक्स हो जाए. उसके बाद तैयार गजक को अपने मन पसंद डिजाइन में काटा जाता है.
गजक शरीर की इम्युनिटी पॉवर बढ़ाती हैगजक का महत्व केवल स्वाद की वजह से नहीं है. गजक में इस्तेमाल होने वाली तिल और गुड़ सर्दियों में शरीर के लिए औषधि का काम करती हैं. कोरोना काल जैसी महामारी के समय में जहां लोग अपने शरीर की इम्युनिटी पॉवर बढ़ाने के लिए कई तरह की दवाइयां और महंगे खाद्य पदार्थ खा रहे हैं, तो वहीं गजक इनके स्वाद के लिए बहुत ही लाभदायक है. ऐसे में गजक को खाने वालों के लिए स्वाद के साथ-साथ सेहत का भी दोहरा फायदा होता है.
गजक की लगभग 30 वैरायटीजिले में गजक के 25 से 30 वैरायटी के स्वाद लोगों को मिलते हैं, जिसमें गुड़ की गजक, चीनी की गजक के अलावा गजक के लड्डू, तीली बर्फी, तिली लड्डू, सोन गजक, ड्राई फ्रूड गजक के लड्डू, ड्राई फ्रूड गजक के समोसे, काजू गजक रोल, पट्टी रोल जैसे कई वैरायटी प्रमुख है. वहीं इस बार बच्चों के लिए चॉकलेट बर्फी गजक विशेष रूप से बनाई गई है. जिन बच्चों को गुड़ पसंद नहीं आता है, वह चॉकलेट बर्फी गजक ट्राय कर सकते है.
गजक के स्वाद में चंबल के पानी का बड़ा महत्वजिले की गजक की बात करें, तो यहां की गजक में विशेष बात है. मुरैना चंबल के पानी की तासीर ऐसी है कि यहां की गजक का स्वाद दो गुना हो जाता है. यही वजह है कि दूर-दूर से लोग मुरैना की गजक को लेने आते हैं.
दुकानदारों का कहना है कि जीआई टैग मिलने से गजक दुकानदारों को बड़ा फायदा होगा. जीआई टैग मिलने के बाद कोई भी मुरैना के नाम से गजक नहीं बेच पायंगे.