मुरैना। चंबल नदी में बाढ़ आने से हर साल कई गांव प्रभावित होते हैं. जिससे ग्रामीणों की फसलें तबाह हो जाती हैं. साथ ही ग्रामीणों की जान पर बन आती है. ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार शिकायत के बावजूद प्रशासन इसे लेकर संजीदा नजर नहीं आ रहा है. जिसके चलते हर साल उनके घर उजड़ जाते हैं.
बीहड़ में हर साल बह जाता है गरीबों का 'आशियाना', अब कलेक्टर ने दिया ये आश्वासन - mp news
चंबल नदी में आई बाढ़ हर साल कई आशियाने उजाड़ देती है, हजारों एकड़ फसलें बर्बाद हो जाती हैं. इसके बावजूद प्रशासन किसानों की बर्बादी का नजारा मूकदर्शक बनकर देखता रहता है.
इस साल 2006 के बाद चंबल नदी सबसे ज्यादा उफान पर रही, जिसकी वजह कोटा बैराज से अधिक पानी छोड़ा जाना था. इसके अलावा भी कई गांव ऐसे हैं, जहां चंबल नें थोड़ा पानी बढ़ने से आवागमन बधित हो जाता है.
चम्बल किनारे बसे नदुआपुरा गांव सहित जिले में ऐसे कई गांव हैं, जो चंबल नदी में आई बाढ़ के चलते प्रभावित हुए हैं. ऐसे में ग्रामीणों ने कलेक्टर से मांग की है कि बीहड़ में रहने के लिए जमीन उपलब्ध कराई जाए, जिससे हर साल होने वाले नुकसान से ग्रामीणों को बचाया जा सके.